बीकानेर। बीकानेर में टिकटों को ले कर चल रहे आपसी चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और बीकानेर शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत की हार हुई और बी डी कल्ला और डूडी की जीत हुई। हारे हैं तो राहुल गांधी। वे लाख चाहने के बाद भी बीकानेर को एक नया और युवा चेहरा नहीं दे सके। सवाल सिर्फ यशपाल गहलोत का नहीं है। यशपाल ने तो सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें इतना जल्द टिकट मिल जाएगा। उन्हें तो यह अच्छे से पता था कि शहर कांग्रेस की अध्यक्षता भी कल्ला की कृपा पर मिली है। लेकिन यशपाल युवा भी थे और युवा को सपना दिखाकर तोडऩा अक्षम्य अपराध है और इस अपराध का गुनहगार राहुल गांधी के अलावा कोई नहीं हो सकता, क्योंकि यह सपना उन्हीं का था। डा. बी.डी.कल्ला के समर्थकों को कल्ला ही चाहिए थे, कांग्रेस झुकी और टिकट यशपाल से लेकर उन्हें दे दी गई। यशपाल को पूर्व की सीट पर भेज दिया गया, तो वहां पहले से तैनात कन्हैयालाल झंवर की टिकट काट दी गयी। इसके लिए रामेश्वर डूडी अड़ गए। डूडी ने ‘प्राण जाए पर वचन न जाये’ की तर्ज पर दिल्ली बैठे कांग्रेस आलाकमान को हिला दिया। आलाकमान झुका और यशपाल गहलोत को वहां से भी हटा दिया गया। आखिर यशपाल गहलोत का कौन? यशपाल तो राहुल गांधी के सपने थे। यह टिकट न तो शहर कांग्रेस अध्यक्ष का कटा है, न किसी और का। यह एक युवा का टिकट कटा है।
