मुसलमानों का ममता से मोहभंग, दो हजार से अधिक तृणमूल कार्यकर्ताओं ने थामा कांग्रेस का हाथ

कोलकाता

सनलाइट, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को अल्पसंख्यक समुदाय ने लोकसभा चुनाव से ऐन पहले करारा झटका दिया है। राज्यभर से 2000 से अधिक अल्पसंख्यक तृणमूल कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय विधान भवन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह दावा किया है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की पार्टी ने वर्षों तक अल्पसंख्यकों को विकास के नाम पर केवल धोखा दिया है। अब धीरे-धीरे लोग यह समझने लगे हैं। इसीलिए ममता बनर्जी का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम रहे हैं। सियासी तौर पर इसे ममता बनर्जी के लिए झटका माना जा रहा है। विधान भवन में जब सोमेन मित्रा पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे, तब मीडिया से मुखातिब होने के लिए कुछ अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं को भी बुलाया गया था। तृणमूल से इस्तीफा देने वाले मुस्लिम कार्यकर्ताओं का कहना है कि ममता बनर्जी सरकार भाजपा का डर दिखाकर चुनावी अभियान का ध्रुवीकरण कर रही है।
उन्होंने कहा कि मौजूद पश्चिम बंगाल सरकार मुसलमानों के हित की बात तो करती है, लेकिन सच ये है कि जमीन पर सच्चर कमेटी को लागू करने की दिशा में कदम नहीं उठाया गया। इसके साथ ही 10 हजार मदरसों को राजकीय मान्यता देने की घोषणा की गई। ये बात अलग है कि जमीन पर मुसलमानों के लिए कहीं कुछ नहीं दिखता है। इसके अलावा कांग्रेस का दामन थामने वाले इन मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने हिंदुओं के तुष्टीकरण के लिए दुर्गा पूजा में 28 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च कर दी जबकि अल्पसंख्यक समुदाय के विकास अथवा मदरसों के लिए कोई मदद नहीं दी गई है।

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