शाहीन बाग में CAA के खिलाफ धरने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले पर विचार करने से इनकार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विरोध का अधिकार कभी भी और हर जगह नहीं हो सकता।
12 ऐक्टिविस्ट्स ने सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2020 में दिए उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में हो रहे विरोध प्रदर्शनों को अवैध ठहराया गया था।
जस्टिस एसके कॉल, अनिरुद्ध बोस और कृष्ण मुरारी की तीन जजों वाली पीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘विरोध करने का अधिकार हर जगह और किसी भी वक्त नहीं हो सकता। कुछ विरोध प्रदर्शन कभी भी शुरू हो सकते हैं लेकिन लंबे समय तक चलने वाले धरना प्रदर्शनों के लिए किसी ऐसे सार्वजनिक स्थान पर कब्जा नहीं किया जा सकता, जिससे दूसरों के अधिकार प्रभावित हों।’ यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 9 फरवरी को दिया था लेकिन शुक्रवार को इसे सार्वजनिक किया गया।
कोर्ट ने कनिज़ फातिमा सहित 12 ऐक्टिविस्ट्स की ओर से दायर याचिका में मामले की सुनवाई खुली अदालत में करने के अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया।
