मातृ दिवस पर राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल का कार्यक्रम

सामाजिक
  • निराशा के वातावरण में भी आशा की ज्योति “मां” – जगदीश मित्तल

कोलकाता। राष्ट्रीय कवि संगम, पश्चिम बंगाल के के अध्यक्ष डाँ. गिरिधर राय के अध्यक्षता में आज मातृ दिवस के शुभ अवसर पर एक उत्कृष्ट, सफल एवं सराहनीय कवि सम्मेलन का आयोजन गूगल मीट डिजिटल पटल पर हुआ।

कवि सम्मेलन का शुभारम्भ आलोक चौधरी की मधुर सरस्वती वंदना  से हुआ। डाँ. गिरिधर राय  ने कहा- माँ की याद फिर आई, जब आई तो बहुत आई , बहुत आई।रामपुकार सिंह “पुकार” गाजीपुरी ने कहा- “संवेदना है, भावना है, तो कभी आश्वास है माँ, जीवन के फूलों में तो खुशबू का सदा आभास है माँ।”

काव्य गोष्ठी में शामिल प्रमुख रचनाकार  संजय शुक्ला, चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय “अनुरागी, देवेश मिश्रा, डाँ. अरविन्द कुमार मिश्रा, निहारिका सिंह, रीना पाण्डेय, सुदामी यादव, रंजन कुमार मिश्रा और आलोक चौधरी ने माँ को केन्द्र में रख कर स्वरचित रचना का पाठ ऐसे भाव – भंगिमा भरे अन्दाज में किया कि श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गये। मंच का कुशल संचालन कवियित्री निहारिका सिंह ने किया।

राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने कहा- निराशा के वातावरण में भी आशा की ज्योति “मां। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने रचनाकारों के काव्य पाठ से अभिभूत होकर सभी की भूरि – भूरि प्रशंसा की और प्रतिकूल परिस्थिति में आशावाद जगाने खातिर कार्यक्रम के व्यवस्थापकों की उन्होंने सराहना किया।

अन्त में प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम ने सभी कवियों, अतिथियों और श्रोताओं को अपना अमूल्य समय देकर कार्यक्रम को उत्कृष्ट एवं सफल बनाने हेतु हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन किया।

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