सनलाइट, बीकानेर। गुरुवार, 21 फरवरी को बीकानेर में सैकड़ों शादियां एक साथ होंगी और मौका होगा प्रदेश, देश बल्कि विदेशों में भी ख्यातनाम पुष्करणा समाज के ओलम्पिक सामूहिक सावा का। पुष्करणा सावा शहर की सांस्कृतिक धरोहर व परम्परा का प्रतीक है तभी तो शहरी परकोटे को राजस्थान सरकार ने भी एक छत मानते हुए उन्हें खाद्य सामग्री व वधू पक्ष को आर्थिक सहायता करने की घोषणा की है।
अधिकृत घोषणा नहीं की गयी है लेकिन बताया जा रहा है कि इस बार सवा सौ से अधिक शादियां होने का अनुमान है। शहरी परकोटे में न केवल शादियां एक साथ होंगी बल्कि यज्ञोपवीत संस्कार (जनेऊ) सहित विविध आयोजन भी होंगे। शहर की जानी-मानी संस्थाएं ‘रमक झमक’, श्री परशुराम सेवा समिति, अखिल भारतीय पुष्टिकर सेवा परिषद सहित एक दर्जन संस्थाएं सामूहिक सावा को लेकर सक्रिय हो चुकी है।
शहर के ख्यातनाम संस्कृतिककर्मी प्रहलाद ओझा ‘भैरू’, नवरतन व्यास व सुरेंद्र व्यास ने बताया कि बीकानेर शहर में चहुंओर रंग-बिरंगी रोशनियों से घरों को सजाया जा चुका है। जिनके घरों में शादियां नहीं है उन्होंने भी उत्सव के रुप में इस विवाह महोत्सव में भाग लेने का मानस बनाया है और अपने घरों में लाइटिंग, डेकोरेशन का कार्य किया हुआ है।
राजस्थान के ऊर्जा मंत्री डा. बी.डी.कल्ला इसी शहर से आते हैं उनके निर्देश पर पुलिस प्रशासन ने भी व्यवस्थाओं का जिम्मा ले रखा है और चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी मौजूद हैं।
पुष्करणा सावा परम्परा
बीकानेर में डेढ़-दो शताब्दी से सावा यानि सामूहिक विवाह की परम्परा निर्बाद्ध रूप से चल रही है। पूर्व में पुष्करणा समाज का सामूहिक सावा 4 वर्ष के अंतराल के बाद होता था, लेकिन बढ़ती जनसंख्या लोगों की मांग के बाद वर्ष 2005-06 से सावा प्रति दो वर्ष के बाद होने लग गया है। सावे की गतिविधियां 4 पांच माह पूर्व ही शुरू हो जाती है।
पूर्व राजपरिवार से स्वीकृतिः प्राचीन परम्परानुसार राजपरिवार से स्वीकृति लेने, दशहरा के दिन सावे की तिथि की घोषणा करना, वैदिक व शास्त्रार्थ के बाद सावे की तिथि का तय करना आदि कार्य किए जाते है। एक ही दिन शादी व सभी का शादी का खाना होने से समन्वय, समरसता व सहजता और आपसी स्नेह रहता है।
पुष्करणा सामूहिक सावे के दौरान सारा जग मंडप, सब बाराती वाली कहावत चरितार्थ होती है। बारातों की रेलम पेल, रमक झमक सहित अनेक सामाजिक एवं स्वयं सेवी संस्थाओं की ओर से विष्णु स्वरूप दूल्हे व उनके साथ चल रहे बारातियों का सम्मान, विवाह से पूर्व छींकी यानि गणेश परिक्रमा में गाए जाने वाले यर्जुेवेद का मंत्र की गूंज से सारा वातावरण मंगलमय रहता है।
जिला प्रशासन व राज्य सरकार की ओर से भी शहर में लाइट, सड़क, पेयजल और सफाई आदि की विशेष व्यवस्था की जाती है।
