हम जहां जिस हाल में हैं वहीं से शुरुआत कर हमें वास्तव में जहां, जिस हाल में होना चाहिए के लक्ष्य को प्राप्त करने का साधन ही योग है। पांच दिन चलने वाले सनलाइट योग चर्चा कार्यक्रम के चतुर्थ दिवस योगाचार्य राजेश व्यास ने बताया कि गांडीव धारी अर्जुन जब युद्ध क्षेत्र में अवसाद की स्थिति में आ गए, सन्यास लेना चाहते थे तब श्री कृष्ण ने उन्हें योगी होने के गुण, लाभ बताते हुए योगी हो जाने को कहा। युद्ध क्षेत्र से पलायन न कर डट कर युद्ध करने को कहा और साथ रह कर विजय दिलाई।
उन्होंने कहा कि जब अर्जुन जैसे महारथी जिसके सारथी, सखा और रक्षक स्वयं श्री कृष्ण हो उनकी ऐसी स्थिति हो सकती है तो हमलोग तो साधारण इंसान ठहरे। व्यास ने कहा कि सत्य कालजयी होता है, जो योग से प्राप्तत्व की बात तब थी वही अब है और इसमें कोई संशय नहीं।इसमें भेद भी क्या है भला। इस पथ पर मात्र शुरुआत करने से ही अनुभव होने लगता है। कहने का तात्पर्य है जिस भी दशा में इंसान है वह इच्छित दिशा में बदलने लगती है जब योग के द्वारा शरीर, बुद्धि, मन को साध कर उचित प्रयास करने का निर्णय ले उसे लागू कर दिया जाए।
योग दिवस पर सनलाइट द्वारा 16 जून गुरुवार से शुरू किये गए पँचदिवसिय योग चर्चा कार्यक्रम का सोमवार 21 जून को अंतिम सत्र है।
