नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की खंडपीठ ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को लागू करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि वह जनवरी में याचिका पर सुनवाई करेगा।इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिकाएं दायर करनेवालों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, पीस पार्टी, रिहाई मंच और सिटिजन अगेंस्ट हेट नामक एनजीओ, जन अधिकार पार्टी औऱ इंडियन मुस्लिम लीग औऱ एहतेशाम हाशमी, असम के नेता डी सैकिया, सांसद अब्दुल खालिक, विधायक रुपज्योति, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, पूर्व आईएएस अधिकारी सोम सुंदर बरुआ, अमिताभ पांडे, आईएफएस देव मुखर्जी बर्मन और त्रिपुरा के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर देव बर्मन शामिल हैं।
याचिका दायर करनेवालों में हर्ष मांदर, अरुणा राय, निखिल डे, इरफान हबीब और प्रभात पटनायक शामिल हैं। याचिकाओं में नागरिकता संशोधन कानून को रद्द करने की मांग की गई है। पीस पार्टी ने अपनी याचिका में कहा है कि धर्म के नाम पर वर्गीकरण की संविधान इजाजत नहीं देता है। ये बिल संविधान की धारा 14 का उल्लघंन है।
इस कानून के खिलाफ पिछले 12 दिसम्बर को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने दाखिल किया। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की याचिका में कहा गया है कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण की संविधान इजाजत नहीं देता। ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित किया जा चुका है।
