Not every property owned by individual can be material resource of community – क्या सरकार संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत किसी व्यक्ति या समुदाय की निजी संपत्ति को समाज के नाम पर अपने नियंत्रण में ले सकती है?
Not every property owned by individual can be material resource of community
इस अहम सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बड़ी बेंच ने अपने अहम फैसले में कहा कि सरकार सभी निजी संपत्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकती, जब तक कि सार्वजनिक हित ना जुड़ रहे हों।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं कहा जा सकता है। संविधान पीठ ने इस साल 1 मई को सुनवाई के बाद निजी संपत्ति मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 1978 के बाद के उन फैसलों को पलट दिया, जिनमें समाजवादी विषय को अपनाया गया था और कहा गया था कि सरकार आम भलाई के लिए सभी निजी संपत्तियों को अपने कब्जे में ले सकती है।
कोर्ट ने तय कर दिया कि संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के प्रावधानों को मुताबिक निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं माना जा सकता है और ना ही जनहित के लिए उसका वितरण हो सकता है।
सीजेआई ने कहा कि आज के आर्थिक ढांचे में निजी क्षेत्र का महत्व है। उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा कि हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं कहा जा सकता है. संपत्ति की स्थिति, सार्वजनिक हित में उसकी जरूरत और उसकी कमी जैसे सवालों से किसी निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति का दर्जा मिल सकता है।