Abhishek banerjee – अभिषेक बनर्जी ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर विरोध जताते हुए आज प्रेस कांफ्रेंस की।
Abhishek Banerjee
अभिषेक बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार को बुधवार को विधेयक पेश करते समय मुख्य रूप से तृणमूल सांसदों के विरोध के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ा।
विपक्ष ने इस विधेयक के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है। उनके विरोध के कारण लोकसभा में भारी हंगामा हुआ और सत्र स्थगित करना पड़ा।
अभिषेक ने बुधवार को यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, “जो इतने अहंकारी हैं, उन्होंने बंगाल की ताकत देख ली है। अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे उलट होते, तृणमूल को 12 और भाजपा को 29 सीटें मिलतीं, तो यह विधेयक आज ही पारित हो जाता।”
हालाँकि, अभिषेक का मानना है कि यह विधेयक कभी पारित नहीं होगा। क्योंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है। इसे कानून बनाने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
Abhishek Banerjee का दावा है कि यह बहुमत कभी हासिल नहीं होगा। फिर विधेयक क्यों पेश किया जा रहा है? अभिषेक ने कहा कि दरअसल, भाजपा भी जानती है कि यह विधेयक पारित नहीं हो सकता।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर उन्हें सुप्रीम कोर्ट में झटका लगा है। उस पहलू से ध्यान भटकाने के लिए यह विधेयक पेश किया गया है।
विपक्ष के अनुसार, इस विधेयक के ज़रिए केंद्र विपक्ष शासित राज्यों में ईडी या सीबीआई का ज़्यादा इस्तेमाल करना चाहता है।
Abhishek Banerjee ने कहा कि अगर कोई दोष सिद्ध भी नहीं होता है, तो भी इस विधेयक के कानून बनने पर किसी भी मंत्री को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
विधेयक की आलोचना करते हुए अभिषेक ने कहा, दरअसल, यह विधेयक विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार करने और सरकार गिराने के उद्देश्य से पेश किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, ”अदालत तय करेगी कि कोई दोषी है या निर्दोष। भाजपा यह तय करने वाली कौन होती है? आप अदालत के काम में कैसे दखल दे सकते हैं?”
भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने आगे कहा, ”आप 240 सांसदों के साथ यह विधेयक पेश कर रहे हैं, अगर आपके पास 400 सांसद होते, तो आप देश को पैतृक संपत्ति बना देते। लोगों ने ऐसा नहीं होने दिया।”
Abhishek Banerjee ने केंद्र के खिलाफ जवाबी हमला बोला है। उन्होंने कहा, 30 दिन नहीं। किसी मंत्री की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसी को 15 दिन का समय लेना चाहिए।
अगर उस अवधि के भीतर गिरफ्तार व्यक्ति पर लगे आरोप साबित नहीं होते हैं, तो जांच अधिकारी और एजेंसी के प्रमुख को दोगुनी जेल की सजा काटनी होगी।
अगर ऐसा कोई विधेयक लाया जाता है तो तृणमूल उसका समर्थन करेगी। Abhishek Banerjee ने कहा, ”पिछले 10 वर्षों में कितने भाजपा नेताओं को गिरफ्तार किया गया है?
केंद्र द्वारा स्वयं उपलब्ध कराए गए आंकड़े कहते हैं कि ईडी ने 5,892 मामलों की जांच की है। वह केवल आठ मामलों में दोष साबित कर पाई है। यानी 99 प्रतिशत मामले राजनीति से प्रेरित हैं।
भाजपा वास्तव में देश को विपक्ष विहीन करना चाहती है। हिमंत बिस्वा सरमा, अजित पवार और शुवेंदु अधिकारी रातोंरात कैसे सही बन गए?
