कोलकाता। भगवान कृष्ण को लेकर दुनियाभर में काम करने वाली संस्था इस्कॉन की ओर से हर साल आयोजित होने वाली रथयात्रा पर भी इस बार कोरोना का कहर बरप सकता है।
लॉकडाउन आगे बढ़ता है तो नहीं होगा आयोजन
सूत्रों के अनुसार अगर तीन मई के बाद भी लॉक डाउन को आगे बढ़ाया जाता है तो इसका आयोजन नहीं होगा। 23 जून से शुरू होने वाली इस यात्रा में हर साल कम से कम 10 लाख लोग शामिल होते हैं।

50 फ़ीसदी संभावना है कि इस बार आयोजन ना हो
इस्कॉन के कोलकाता क्षेत्र के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने बताया कि 50 फ़ीसदी संभावना है कि इस बार आयोजन ना हो। अगर लॉक डाउन आगे नहीं बढ़ता है तो हो सकता है आयोजन शुरू हो जाए लेकिन इसमें भीड़-भाड़ भी कम होगी और बिल्कुल सीधे-सादे तरीके से इसका कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया में केवल एक सप्ताह शेष रह गए हैं। इस शुभ दिन यात्रा में इस्तेमाल किए जाने वाले तीनों रथों की रंगाई से लेकर मरम्मत का काम शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा कि अगर कोरोना वायरस का असर बरकरार रहा तो इस बार रथयात्रा का आयोजन नहीं होगा।
दरअसल इस्कॉन की रथयात्रा राज्य सरकार के साथ तालमेल बनाकर आयोजित होती है। पिछले कई वर्षों से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसमें शामिल होती हैं और रस्सी भी खींचती है। कोलकाता में यह रथयात्रा आठ किलोमीटर के क्षेत्र में घूमती है।
राधारमण ने दावा किया कि पिछले साल रथयात्रा में कम से कम 15 लाख लोग आए थे। लेकिन इस साल स्थिति अलग है। उन्होंने कहा कि ओडिशा के जगन्नाथ पुरी रथयात्रा को लेकर भी अभी अनिश्चितता की स्थिति है। तीन मई के बाद इसके आयोजन पर अंतिम फैसला लिया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि संक्रमण के कारण प्रशासन सड़कों पर लॉक डाउन पालन कराने में जुटा हुआ है। ऐसे में अगर रथयात्रा का आयोजन हुआ तो इसे संभालना और लोगों की सुरक्षा नहीं हो पाएगी। इसलिए आयोजन पर अनिश्चितता है।
