- समाज के लोगों व शहर वासियों ने गौरव महसूस किया
73 वें गणतंत्र दिवस समारोह में राजस्थान सरकार जिला प्रशासन, बीकानेर द्वारा सामाजिक संस्था रमक झमक का अभिनन्दन किया गया। राजस्थान सरकार के मंत्री डॉ बी डी कल्ला, सम्भागीय आयुक्त नीरज के पवन, जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल आदि ने एक समारोह में रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ को सम्मान प्रदान किया।
यह सम्मान सभी परम्परा व संस्क्रति प्रेमियों को समर्पित – प्रहलाद ओझा
रमक झमक के संस्थापक अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने बताया कि उनके पिताजी स्व.छोटुलाल ओझा तुम्बड़ी वाले बाबा द्वारा सस्कृति व सामाज के कार्य छोटे रूप में शुरू किये थे। रमक झमक के माध्यम से उसको ही आगे बढ़ा रहे है। गणतंत्र दिवस पर शहर की एक मात्र संस्था को चुना गया इसमें सबकी शुभ भावनाए साथ रही।
उन्होंने कहा कि रमक झमक का यह सम्मान संस्था से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों का व रमक झमक के शुभचिंतकों के साथ साथ हर उस व्यक्ति को समर्पित है जो अपनी मौलिक परम्परा संस्क्रति और उसके उधेश्य को ध्यान में रखते हुवे आधुनिक समय के साथ आगे बढ़ रहे है।
समाज और सस्कृति का सम्मान है: राजस्थानी गीतकार शिवराज छंगाणी
रमक झमक को सम्मान मिलने पर राजस्थानी भाषा साहित्य सस्कृति अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष वरिष्ठ गीतकार शिवराज छंगाणी ने प्रसन्नता जाहिर की है। छंगाणी ने कहा कि पाश्चात्य सस्कृति के दुष्प्रभाव से युवाओं को बचाने के लिये रमक झमक जैसी संस्था हमेशा सतत प्रयासरत रही है। रमक झमक के प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ का सम्मान सम्पूर्ण समाज व संस्कृति कर्मीयों का सम्मान है।
उल्लेखनीय है कि रमक झमक परिवार सेवा संस्कार और सस्कृति के लिये शहर परकोटे मे लगभग 40 वर्षों से समाज और शहर की पौराणिक संस्क्रति व परम्पराओ के सरंक्षण हेतु निरन्तर कार्य कर रही है। विशेष रूप से पुष्करणा सावा जैसी पौराणिक संस्कृति को अक्षुण बनाए रखने के लिये तो सतत प्रयासरत रहती है।
सावा संस्कृति में युवाओं की रुचि पैदा करने के लिये निरन्तर नवाचार के साथ युवओं को प्रोत्साहन हेतु आयोजन करती रहती है व प्रचार प्रसार करती है। 360 वर्षो पुरानी सामूहिक सावा संस्कृति को एक बार पुनः विश्व पटल लाने का श्रेय रमक झमक के नाम है।
