आज गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। आज लोग अपने घरों में गणपति बप्पा का हर्षोल्लास के साथ आगमन का स्वागत करेंगे। इसके लिए जगह जगह पर पूजा स्थान और पंडालों को भव्य रूप से सजाया गया है।
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। पद्म पुराण के अनुसार भगवान गणेश का जन्म स्वाति नक्षत्र में मध्य काल में हुआ था। 30 अगस्त को दोपहर 03:34 पीएम पर भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि प्रारंभ हुई है और आज यह दोपहर 03:22 पीएम तक मान्य रहेगी।
- स्नानादि कर जहां गणपति की स्थापन करनी है वहां गंगाजल छिड़कर उस स्थान को पवित्र करें। पूजा की चौकी रखें और उस पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाएं।
- अब चौकी पर थोड़े से अक्षत डालें और उस पर गणपति की प्रतिमा स्थापित करें।
- मूर्ति मिट्टी की हो तो फूल से गणेश जी पर गंगाजल, पंचामृत छिड़कें। धातू की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक कर सकते हैं।
- रोली, मौली, हल्दी, सिंदूर, अक्षत, चंदन, अबीर, गुलाल, अष्टगंध, पुष्प, लौंग, इलायची, पान का पत्ता, नारियल अर्पित करें।
- फिर गणेश जी को जनेऊ पहनाएं और दूर्वा चढ़ाएं। अब उनके प्रिय भोग मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाए। गणपति को फल अर्पित करें ध्यान रखें प्रसाद में तुलसी न रखे, गणपति की पूजा में तुलसी वर्जित है।
- धूप, दीप कर गणपति चालीसा का पाठ करें और गणेश चतुर्थी की कथा पढ़ें।
- अब परिवार सहित गणेश जी की आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें।