पश्चिम बंगाल सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद का माहौल खत्म होता नहीं दिख रहा है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने फिर ट्वीट किया है।
राज्यपाल के मुताबिक विधानसभा का सत्र आठ मार्च से शुरू करने के लिए राजभवन को भेजी गई सिफारिश का संविधान में पालन नहीं किया गया है। इसलिए राज्यपाल के पास सत्र बुलाने की सिफारिश वापस करने के अलावा कोई चारा नहीं है।यह बात राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ट्विटर पर कही।
राज्यपाल ने राज्य की सिफारिश को वापस क्यों भेजा?
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सहमति से राज्य के संसदीय मंत्री पर्थ चटर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से राज्य विधानसभा का सत्र बुलाने की सिफारिश की थी। सिफारिश के मुताबिक राज्य विधानसभा का बजट सत्र 8 मार्च को दोपहर 2 बजे बुलाया गया था। हालांकि, राज्यपाल ने सिफारिश वापस कर दी।
राज्यपाल के अनुसार, संविधान के अनुसार, राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही कैबिनेट मंत्री विधानसभा का सत्र बुलाने की सिफारिश कर सकते हैं। हालांकि कैबिनेट मंत्री द्वारा राजभवन को भेजी गई सिफारिश में कैबिनेट की मंजूरी का जिक्र नहीं था।
राज्यपाल के अनुसार मामला संविधान के अनुच्छेद 166(3) के बिल्कुल विपरीत है। राज्यपाल राज्य मंत्रिमंडल की स्वीकृति से ही विधान सभा का सत्र बुला सकता है। इस कारण से, उन्होंने राज्य सरकार को सिफारिश वापस भेज दी।