Karwa Chauth 2023 – करवा चौथ का त्यौहार कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाएगा। इस बार करवा चौथ आज यानी 1 नवंबर को है।
Karwa Chauth 2023
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूरे दिन व्रत करती हैं और रात में चांद निकलने के बाद अपना व्रत खोलती है।
Karwa Chauth 2023
ज्योतिष प्रभाकर डॉ राकेश व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर, मंगलवार रात 09:30 से शुरू हो रही है जो 01 नवंबर की रात 09:19 तक रहेगी।
Karwa Chauth 2023 – विधि
सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान के बाद दिन में पूजा करें और करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। चंद्रमा उदय हो जाए तो विधि पूर्वक अर्घ्य दें और पूजा करें।
पूजा करने के बाद महिलाएं अपने पति के चेहरे को देखने के बाद निर्जला व्रत को पूरा करें।
Karwa Chauth 2023 व्रत की कथा
किसी गांव में एक ब्राह्मण अपने 7 पुत्रों और एक पुत्री के साथ रहता था। पुत्री का नाम वीरावती था। विवाह के बाद वीरावती ने भी करवा चौथ का व्रत किया और लेकिन भूख-प्यास के कारण वह बेहोश हो गई।
बहन की ऐसी हालत देखकर भाइयों ने पेड़ के पीछे से मशाल का उजाला दिखाकर बहन से झूठ बोल दिया कि चांद निकल आया है।
ये देख वीरावती ने भोजन कर लिया। इस वजह से वीरावती के पति की मृत्यु हो गई। उसी रात देवराज इंद्र की पत्नी पृथ्वी पर आई।
वीरावती की हालत देखकर इंद्राणी को बहुत दुख हुआ। उन्होंने वीरावती से अगली बार पुन: करवा चौथ व्रत करने को कहा। इस व्रत के प्रभाव से वीरावती का पति पुन: जीवित हो गया।
Karwa Chauth 2023 का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ पर भगवान श्रीगणेश की पूजा का भी विधान है। इसके लिए शुभ मुहूर्त शाम 05:36 से 06:54 तक रहेगा यानी लगभग 01 घण्टा 18 मिनट। करवा चौथ पर चन्द्रोदय रात 07:46 के लगभग होगा।
करवा चौथ की पूजा में क्यों भरा जाता है करवा
ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ के दिन पूजा में मिट्टी के करवे का प्रयोग किया जाता है। यह बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है।
करवा चौथ व्रत की शुरुआत सूर्योदय के साथ होती है और रात को चांद को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत पूर्ण माना जाता है
करवा चौथ की पूजा में करवा का विशेष महत्व होता हैं। इस करवे को मां देवी का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है। मिट्टी के करवे को पूजन विधि में खास माना जाता है।
पूजा का है नियम
करवा चौथ पूजा के दौरान दो करवे रखे जाते हैं। इनमें से एक देवी मां का होता है और दूसरा सुहागिन महिला का। करवा पूजा में करवा चौथ की व्रत कथा सुनते समय दोनों करवे पूजा के स्थान पर रखे जाते हैं और करवे को साफ करके उसमें रक्षा सूत्र बांधकर, हल्दी और आटे के मिश्रण से एक स्वस्तिक चिह्न बनाया जाता है। इसके बाद करवे पर 13 रोली की बिंदी को रखकर हाथ में गेहूं या चावल के दाने लेकर करवा चौथ की कथा सुनी जाती है।