अरविंद केजरीवाल के गुरु कहे जाने वाले अन्ना हजारे ने उन्हें पत्र लिखा है। इस पत्र में अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल से कहा है कि वह दिल्ली में शराब की दुकानों को बंद कर दें। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने स्वराज पुस्तक में बड़ी-बड़ी बातें की थीं, लेकिन उनके आचरण पर उसका असर नहीं दिख रहा है।
अन्ना हजारे ने अपनी चिट्ठी में अरविंद केजरीवाल को संबोधित करते हुए लिखा, ‘आपके मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार मैं आपको खत लिख रहा हूं। पिछले कई दिनों से दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर जो खबरें आ रही हैं, उन्हें पढ़कर दुख होता है।’
उन्होंने लिखा है कि ‘आपने स्वराज नाम की पुस्तक में कितनी आदर्श बातें लिखी थी, तब से आपसे बड़ी उम्मीद थी लेकिन ऐसा लगता है कि राजनीति में जाकर और मुख्यमंत्री बनने के बाद आप आदर्श विचारधारा भूल गए है।’ ‘जिस तरह शराब का नशा होता है, उसी तरह सत्ता का भी नशा होता है। ऐसा लग रहा है कि, आप भी ऐसी सत्ता के नशा में डूब गए हो।’ उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि इससे शराब की बिक्री और पीने को बढ़ावा मिल सकता है। गली गली में शराब की दुकाने खुलवाई जा सकती है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
अन्ना ने पत्र में कहा कि आप लोकपाल आंदोलन के कारण हमारे साथ जुड़ गए। तब से आप और मनीष सिसोदिया कई बार रालेगणसिद्धी गांव में आ चुके हैं। गांववालों का किया हुआ काम आपने देखा है। पिछले 35 साल से गांव में शराब, बीड़ी, सिगरेट की बिक्री नहीं हैं। यह देखकर आप प्रेरित हुए थे। आप ने इस बात की प्रशंसा भी की थी।
राजनीतिक पार्टी बनाना हमारे आंदोलन का उद्देश्य नहीं था
हजारे ने कहा कि 10 साल पहले 18 सितंबर 2012 को दिल्ली में टीम अन्ना के सभी सदस्यों की मीटिंग हुई थी। उस वक्त आप ने राजनीतिक रास्ता अपनाने की बात रखी थी। लेकिन आप भूल गए कि राजनीतिक पार्टी बनाना हमारे आंदोलन का उद्देश्य नहीं था। उस वक्त टीम अन्ना के बारे में जनता के मन में विश्वास पैदा हुआ था। इसलिए उस वक्त मेरी सोच थी कि टीम अन्ना के लिए देशभर में घूमकर लोकशिक्षण लोकजागृति का काम करना जरुरी था। अगर इस प्रकार लोकशिक्षण लोकजागृति का काम होता तो देश में कहीं पर भी शराब की ऐसी गलत नीति नहीं बनती।
एक ऐतिहासिक आंदोलन का नुकसान कर के जो पार्टी बन गई, वह भी बाकी पार्टियों के रास्ते पर ही चलने लगी
हजारे ने कहा कि सरकार किसी भी पार्टी की हो, उसे जनहित में काम करने पर मजबूर करने के लिए समान विचारधारा वाले लोगों का एक प्रेशर ग्रुप होना जरूरी था। अगर ऐसा होता तो आज देश की स्थिति अलग होती और गरीब लोगों को लाभ मिलता। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पाया। उसके बाद आप, मनीष सिसोदिया और आपके अन्य साथियों ने मिलकर पार्टी बनाई और राजनीति में कदम रखा। दिल्ली सरकार की नई शराब नीति को देखकर अब पता चल रहा हैं कि एक ऐतिहासिक आंदोलन का नुकसान कर के जो पार्टी बन गई, वह भी बाकी पार्टियों के रास्ते पर ही चलने लगी। यह बहुत ही दुख की बात हैं।
