महाशिवरात्रि पर बन रहा है पंचग्रही योग

धर्म - कर्म

महाशिवरात्रि इस साल 1 मार्च मंगलवार को है। रिसर्च सेंटर ऑफ एस्ट्रो मेडिकल के डॉ राकेश व्यास ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर भारत और दक्षिण भारत के दोनों पञ्चाङ्ग में सिर्फ महीनों के नामकरण की परंपरा का अन्तर है क्योंकि दोनों ही पद्धति में शिवरात्रि एक ही दिन मनाई जाती है।

 

रिसर्च सेंटर ऑफ एस्ट्रो मेडिकल के ज्योतिष प्रभाकर डॉ राकेश व्यास ने बताया कि इस बार शिवरात्रि को धनिष्ठा नक्षत्र परिधि योग 11.18 तक है और इसके बाद में शिव योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही चन्द्र, शनि, बुद्ध, शुक्र, मंगल ग्रह का भी विशेष पँचग्रह युक्ति संयोग बन रहा है और यदि युरेनस, नेप्च्यून व प्लूटो को भी लिया जाये तो सष्ट (छह) ग्रहों की युक्ति हो जाती है। इसी दौरान गुरु अस्त व चन्द्र ओर बुद्ध शत्रु राशि मे है जो इस संयोग को और महत्वपूर्ण बना रहा है।

 

डॉ राकेश व्यास ने बताया कि रात्रि के चार प्रहर होते हैं और हर प्रहर में शिव पूजा की जा सकती है। रात्रि के चारों प्रहर के समय व अवधि निम्न प्रकार है- प्रथम प्रहर शाम 05.40 (17.40) से 08.40 (20.40) तक, द्वितीय प्रहर शाम 08.44 (20.44) से 11.49 (23.49) तक तृतीय प्रहर रात्री 11.49 (23.49) से अर्ध रात्रि 02.53 (02.03.2022) तक चतुर्थ प्रहर अर्धरात्रि 02.53  से सुबह 05.57 तक। साथ ही जो केवल एक प्रहर ही पूजा करना चाहते है उनको निशिता काल मे यानी 23.24 रात्री (11.24) से 00.12 के बीच मे जो 49 मिनट का समय है इसमें करना चाहिए।

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