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Maldives Lakshadweep – PM मोदी के लक्षद्वीप दौरे की तस्वीर पर कमेंट पड़ा भारी, होटल बुकिंग – फ्लाइट टिकट कैंसल, 3 मंत्रियों का निलंबन, boycott Maldives – जानें क्या है कहानी?

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Maldives Lakshadweep – पीएम मोदी हाल ही में लक्षद्वीप दौरे पर गए थे। 4 जनवरी को उन्होंने लक्षद्वीप में स्नोर्कलिंग के साथ ही कई फोटो शेयर करते हुए वहां के टूरिजम को प्रमोट किया था।

Maldives Lakshadweep – PM मोदी के लक्षद्वीप दौरे की तस्वीर से लेकर boycott Maldives, मंत्रियों के निलंबन तक क्या है कहानी?

पीएम की उन तस्वीरों ने लोगों को इतना आकर्षित किया कि गूगल पर अचानक लक्षद्वीप को सर्च करने वालों की संख्या बढ़ गई। इसी के साथ सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की खूबसूरत तस्वीरें पोस्ट की जाने लगीं।

यहाँ तक मालदीव (Maldives Lakshadweep) की कोई चर्चा ही नहीं थी। ना तो पीएम ने कही मालदीव का जिक्र किया ना ही किसी और ने।

अचानक मालदीव की चर्चा शुरू हुई मालदीव की मंत्री मरियम शिउना के बयान के बाद। जिसने पीएम मोदी पर आपत्तिजनक कमेंट किया।

फिर क्या था, लोगों की नजर पड़ी और विवाद में एंट्री हुई मालदीव बनाम लक्षद्वीप (maldives lakshadweep controversy) की।

लोगों में यह बहस चल पड़ी कि जब देश में इतनी खूबसूरत जगह है तो अपनी छुट्टी मनाने कहीं और क्यों जाएं?

लोगों को मालदीव की बजाय लक्षद्वीप जाना चाहिए। हालांकि जब मरियम शिउना के ट्वीट की आलोचना हुई तो उन्होंने पोस्ट डिलीट कर दिया।

मरियम की टिप्पणी की बॉलीवुड से लेकर राजनीति तक से जुड़े लोगों ने आलोचना की और सोशल मीडिया पर boycott Maldives ट्रेंड होने लगा।

जिसके बाद वहां की सरकार ने अपने तीन मंत्रियों को हटा दिया। मालदीव सरकार ने कहा कि उनकी राय व्यक्तिगत हैं और मालदीव सरकार के आधिकारिक बयान ऐसे कभी नहीं हो सकते हैं।

सरकार का मानना ​​है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग लोकतांत्रिक और जिम्मेदार तरीके से किया जाना चाहिए। ऐसे तरीकों से जिससे नफरत और नकारात्मकता न फैले।

मालदीव और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के बीच घनिष्ठ संबंधों में बाधा न आए। सरकार के संबंधित अधिकारी ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे।

हालांकि वर्तमान मालदीव सरकार चीन की करीबी मानी जाती है। मालदीव के नए राष्ट्रपति ने तो अपने चुनाव प्रचार में ही ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था।

फिर भी मंत्रियों को निलंबित करना शायद लोगों को समझ न आए लेकिन इसके पीछे का कारण है भारत से करीब दो लाख से ज्यादा लोगों का हर साल मालदीव की यात्रा करना।

मालदीव में मौजूद भारतीय हाई कमिशन के आंकड़ों को मानें तो साल 2022 में 2 लाख 41 हजार और 2023 में करीब 2 लाख लोगों मालदीव की यात्रा की है।

ऐसे में यदि लक्षद्वीप (Maldives Lakshadweep) जैसे भारत के द्वीपों को प्रमोट किया जाता है तो जाहिर है कि भारत से मालदीव जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आएगी, जिसका वहां के टूरिजम पर विपरीत असर होगा।

हालांकि भारत के लिए भी मालदीव से सीधे तौर पर आमना सामना करना आसान नहीं होगा। भारत का पड़ोसी देश मालदीव हिंद महासागर पर बसा है और इस कारण यह सुरक्षा की दृष्टि से भी अहम है।

अगर तल्खी बढ़ती है तो हिंद महासागर रीजन की सिक्योरिटी भारत के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।

चीन हमारे रिश्तों की तल्खी का फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है। जिसका भारत खयाल रखेगा।

हालांकि भारत की आम जनता हो या ख़ास चेहरे सभी ने मालदीव के लोगों और वहां के मंत्रियों के बयान का जवाब दिया है।

सोशल मिडिया पर boycott Maldives ट्रेंड कर रहा है।

पीएम मोदी का लक्षद्वीप की तारीफ़ करना उसपर मालदीव के मंत्री का आपत्तिजनक बयान भारत के लोगों को मालदीव की जगह लक्षद्वीप ((Maldives Lakshadweep)) जाने के लिए प्रेरित करने लगा है।

अचानक से लोगों ने मालदीव की जगह लक्षद्वीप को चुन लिया है।

मालदीव के बहिष्कार के बीच भारतीय ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी EaseMyTrip ने एक बड़ा कदम उठाया है। उसने सभी मालदीव फ्लाइट की बुकिंग को निलंबित कर दिया है।

कंपनी के को-फाउंडर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) निशांत पिट्टी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि हमारे राष्ट्र के साथ एकजुटता में EaseMyTrip ने मालदीव की सभी उड़ानों की बुकिंग को निलंबित कर दिया है।

मालदीव के मुख्य विपक्षी नेताओं ने भी इस मुद्दे पर सरकार की जमकर आलोचना की थी। हालांकि इस घटनाक्रम के बिच मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू एक सप्ताह की चीन यात्रा पर निकलने वाले हैं।

पिछले नवंबर में पदभार संभालने वाले मुइज्जू ने हाल ही में यह घोषणा करके परंपरा को तोड़ दिया कि वह भारत की यात्रा से पहले चीन का दौरा करेंगे।

हमेशा से मालदीव के राष्ट्रपतियों के लिए सबसे पहले भारत दौरा महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन मुइजू ने ऐसा नहीं किया है।

पूरी घटना के बाद आज विदेश मंत्रालय ने मालदीव के उच्चायुक्त को तलब किया और 5 मिनट में ही उन्हें वापस भेज दिया।

मैसेज साफ़ है कि भारत भी इसे हलके लेने के मूड में नहीं है। लेकिन तल्खी का फायदा कोई तीसरा उठाए यह भी भारत नहीं चाहेगा।

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