panchayat election Mamata Banerjee in jalpaiguri

ममता बनर्जी के लिए दूर होती जा रही है “दिल्ली”

बंगाल विचार मंच

साल 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा ने जोर पकड़ लिया और मिशन दिल्ली खुलकर सामने आने लगा था। उन्हें लगने लगा कि अब दिल्ली दूर नहीं है। बीजेपी के तगड़े माहौल और अब की बार 200 पार के नारे को ध्वस्त कर बीजेपी को 80 सीटों के अंदर रोकते हुए ममता बनर्जी ने इतिहास रचा।

2021 विधानसभा चुनाव के बाद कई बार दिल्ली दौरे हो या विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए तमाम दलों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश, ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने बखूबी किया। इसके लिए ममता बनर्जी ने तृणमूल को बंगाल से बाहर फैलाने का काम किया। चाहे सुष्मिता देव, लुझिनो फलेरियो या फिर मुकुल संगमा को टीएमसी में लेना हो, ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को ध्यान में रख इस पर काम करते हुए गोवा, त्रिपुरा और मेघालय का चुनाव भी लड़ा।

2022 में गोवा चुनाव में लगा धक्का

मिशन दिल्ली के उद्देश्य से तृणमूल का प्रसार करने वाली ममता बनर्जी की उम्मीदों को 2022-23 में एक धक्का लग गया। लुझिनो फलेरियो को राज्यसभा में भेजना, अभिषेक बनर्जी-ममता बनर्जी का गोवा में ताबड़तोड़ प्रचार करना और तृणमूल का गोवा में नारा गोयंची नवी सकाल भी तृणमूल के लिए गोवा में नई सुबह नहीं ला सका और पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली।

त्रिपुरा में भी हाथ लगी निराशा

इसके बाद 2023 में हाल ही में हुए चुनाव में टीएमसी ने त्रिपुरा में अपनी किस्मत आजमाई जहां ज्यादा संख्या में बंगला भाषी वोटर का लाभ मिलने की उम्मीद थी लेकिन यहां भी गोवा की तरह निराशा हाथ लगी। एक के बाद एक हो रही हार ने ममता बनर्जी को दिल्ली से दूर कर दिया।

सागरदिघी उपचुनाव में करना पड़ा हार का सामना

सबसे बड़ा झटका तब लगा जब अपने ही गढ़ के उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा। सागरदिघी उपचुनाव में कांग्रेस सीपीएम गठबंधन की जीत हुई। इस सीट पर 2021 में तृणमूल को लगभग 50 हजार वोट से जीत मिली थी पर 2023 में हुए उपचुनाव में लगभग 22 हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा। पंचायत चुनाव से पहले उप चुनाव में हुई हार टीएमसी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इस हार के बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कांग्रेस बीजेपी पर सवाल खड़े किए। उन्होंने बीजेपी के वोट कांग्रेस में शिफ्ट होने की बात भी कह दी।

2024 में अकेले चुनाव लड़ेगी तृणमूल

इस हार से नाराज ममता बनर्जी ने यहां तक कह दिया कि वे 2024 में अकेले चुनाव लड़ेंगी। 2021 में दिल्ली का सपना देखने वाली ममता बनर्जी 2 साल में ही अकेले चुनाव लड़ने की बात करने लगी।

केजरीवाल और केसीआर भी दौड़ में शामिल

इसके अलावा कुछ ऐसे पहलू भी है जिससे ममता बनर्जी की दिल्ली दूर दिख रही है। अरविंद केजरीवाल के पास 2 राज्यों में सत्ता है, वह भी ममता बनर्जी के सपना के बीच में आ सकते है तो वहीं केसीआर भी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को लिए इस दौड़ में शामिल है। इन सबको देखते हुए फिलहाल कहा जा सकता है कि ममता बनर्जी के लिए दिल्ली दूर दिख रही है।

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