कार में अकेले भी मास्क जरूरी, पर चुनावी रैलियों में सब माफ

देश

देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है और कहा है कि दिल्ली में कार में अकेले सफर करने के दौरान भी मास्क लगाना अनिवार्य होगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने कार को पब्लिक प्लेस बताया है और कहा है कि हर व्यक्ति को मास्क पहनना जरूरी है। अब लोग इस फैसले को चुनावी रैलियों से जोड़कर देख रहें हैं।

 

इस फैसले ने नेताओं को आइना दिखाने का काम किया है क्योंकि यही नेता अपनी रैलियों मे आई भीड़ देख कर खुश भी होते हैं और यही दूसरों की शादी, पार्टियों में मेहमानों की संख्या पर लगाम लगाने के आदेश भी देते हैं।

 

“2 गज की दूरी, मास्क है जरूरी” का मंत्र चुनावी रैलियों में लागू क्यों नही हो रहा?

सवाल यह उठता है कि कार में बैठे अकेले व्यक्ति को मास्क पहनना अनिवार्य है पर इन चुनावी रैलियों में आई भीड़ का क्या? “2 गज की दूरी, मास्क है जरूरी” का मंत्र चुनावी रैलियों में लागू क्यों नही हो रहा?

 

क्या कोरोना से सिर्फ चुनावी रैलियां ही बचा सकती है

चुनावी राज्यों में हुई रैलियों में आई भीड़ में मास्क देखने को नही मिला और सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ती धज्जियां तो सबने देखी है। लोगों के मन मे सवाल उठने लगे कि क्या कोरोना से उन्हें सिर्फ और सिर्फ चुनावी रैलियां ही बचा सकती है?

ये सवाल मन मे आने का भी एक कारण है, वह यह कि स्कूल बंद, कहीं कहीं स्विमिंग पूल, अब मॉल आदि भी बंद हो रहे हैं, कहीं नाइट कर्फ़्यू लग चुका है तो कहीं कहीं लॉकडाउन दुबारा से लग गया है क्योंकि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन चुनावी रैलियों में हजारों-लाखों की भीड़ में भी कोरोना का डर नही है। या ये मान लिया जाए कि चुनावी रैलियों में जाने वालों को कोरोना बक्श देगा।

 

क्या रैलियों की भीड़ से कोरोना नही फैलता?

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कोरोना से बचने के लिए बरती जाने वाली सावधानीयों का चुनावी रैलियों से कोई लेना देना नही है? क्या रैलियों में सावधानियों के नियम को ताक पर रखकर भीड़ की जा सकती है?
क्या रैलियों की भीड़ से कोरोना नही फैलता?

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