Premanad Maharaj – एक अच्छा और महान संत वह होता है जो स्वयं का नही दूसरों का भला सोचे। कल शनिवार को प्रेमानंद महाराज ने फिर यह सिद्ध किया।

Premanad Maharaj
दरअसल कल शनिवार को वृंदावन मे लगभग आठ लाख यात्री पहुँच गये। बांके बिहारी जी, रंग जी, प्रेम मन्दिर चन्द्रोदय मन्दिर सहित सभी स्थानों पर लोगों की भीड़ उमड़ रही थी।
रात होते ही श्रद्धालुओ के कदम महाराज जी के आवास श्री कृष्ण शरणम से केली कुंज की और चल पड़े। प्रेम मन्दिर के पीछे वाली गली जो कि प्रेमानंद जी का परिक्रमा मार्ग है, वहाँ रंगोलिया बनाई जाने लगी ढोल नगाड़े बजनें लगे।
वृंदावन में भीड़ की स्तिथि भयावह थी। आठ लाख लोग और उनके एक लाख वाहन देख स्वयं वृंदावन सोच रहा था कि अब मै वन कहाँ रहा।
प्रेमानंद जी को जब पता चला उन्होंने उसी वक़्त शनिवार की अपनी पद यात्रा स्थगित कर दी, पूरे मार्ग मे प्रेमानंद जी के शिष्य रात दो बजे पहुच गये और माइक् पर लोगों को सूचित करते हुवे सभी को लौट जाने का अनुरोध करने लगे।
भीड़ और भगदड़ की स्थिति को देखते प्रेमानंद महाराज के इस फैसले ने फिर यह सिद्ध किया कि वें स्वयं के नियमों से ऊपर दूसरों का भला चाहते है।