नई दिल्ली। प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव तथा लखनऊ सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों का प्रभारी बना कर अपना ब्रह्मास्त्र निकाल लिया है। इसके तीन प्रमुख संदेश गये हैं।
पहला यह कि कांग्रेस अकेले बिना डरे भाजपा और एऩडीए से सीधी लड़ाई के लिए प्रियंका गांधी तक को राजनीति में उतार दिया। दूसरा यह कि प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की 40 लोकसभा सीटों का प्रभारी बना कर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दो उपमुख्यमंत्रियों को घेरने की चाल चल दी। इसी पूर्वी उत्तर प्रदेश में वाराणसी है जहां से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सांसद हैं। लखनऊ भी है जहां से केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सांसद है। गोरखपुर भी है जहां के योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। यानी प्रियंका गांधी को तीनों को घेरने की कठिन जिम्मेदारी दी गई है। इस तरह से केन्द्र सरकार के सर्वशक्तिशाली पहले व दूसरे व्यक्ति लखनऊ सहित इसके पूरब ( उत्तर प्रदेश) से और उ.प्र. सरकार के सर्व शक्तिशाली पहले व दो दूसरे व्यक्ति भी यहीं से हैं। इसके चलते प्रियंका ने अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही 2022 में होने वाले उ.प्र. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी कड़ी चुनौती स्वीकार की है।
तीसरा यह कि प्रियंका को महासचिव बनाने से पूरे देश में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं, नेताओं में उत्साह आ गया है । बुजुर्गों , युवकों से लेकर महिलाओं तक में भी। ब्राह्मण मतदाता भी अब एकजुट होकर कांग्रेस की तरफ आयेगा।
इस बारे में उ.प्र. के पूर्व मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव बनाने से पार्टी में और जान आ गयी है। राहुल गांधी ने कठिन समय में जिस तरह से जूझकर, सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाने पर लेकर, सीधे चुनौती देकर, सीधे चौकीदार को चोर कहकर घेरा, उसका संदेश जनता में गया। इस तरह से उन्होंने मोदी को, उनकी केन्द्र व राज्य सरकारों को घेरकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराकर कांग्रेस को जीत दिलाई। अब इस जीत को और आगे बढ़ाने के लिए जिस ताकत की जरूरत थी वह ताकत पार्टी महासचिव के रूप में प्रियंका मिल गईं।
