अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में अश्विन मास खत्म होगा और कार्तिक महीने की शुरुआत हो जाएगी। इस सप्ताह 2 बड़े व्रत रहेंगे। इस हफ्ते बुधवार को अश्विन पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा। तो वहीं कार्तिक मास आरंभ के साथ करवा चौथ का व्रत भी इसी सप्ताह होगा।
वर्ष के बारह महीनों में शरद पूर्णिमा ऐसी है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस पूर्णिमा को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, तो धन की देवी महालक्ष्मी रात को ये देखने के लिए निकलती हैं कि कौन जागृत है और वह अपने कर्मनिष्ठ भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं।
इस पूर्णिमा का एक नाम कोजागरी पूर्णिमा भी है यानी लक्ष्मी जी पूछती हैं- कौन जाग रहा है? केवल इसी पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट भी। चंद्रमा की किरणों से इस पूर्णिमा को अमृत बरसता है।
शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर को
ज्योतिष प्रभाकर डॉ राकेश व्यास ने बताया कि 19 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। 19 अक्टूबर को रात 19:03 बजे पूर्णिमा तिथि आ रही है जो 20 अक्टूबर को रात 20:26 बजे तक रहेगी। निशिता काल मुहूर्त रात 10:57 से 23:46 तक है।
मान्यता है कि इस पूर्णिमा की रात को चंद्रमा से अमृतवर्षा होती है इसलिए रात्रि में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखते हैं। और अगले दिन सुबह सभी को प्रसाद के रूप में बांटा जाता हैं।
पूर्णिमा व्रत – आश्विन मास की पूर्णिमा का व्रत 20 अक्टूबर को है।
कार्तिक मास प्रारंभ
कार्तिक मास 21 तारीख से शुरू हो रहा है। इसका खास महत्व है। यह माह भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है। कार्तिक मास में तुलसी के पौधे की पूजा करना और उनकी सेवा करना इस महीने में बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। कार्तिक मास में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
इस मास में दीपदान जरूर करना चाहिए। कहा जाता है कि इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है।
करवा चौथ
सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व करवाचौथ 24 तारीख को है। इस दिन अधिकतर महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। शाम के समय चंद्रमा निकलने के बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और व्रत का पारण करती हैं।
