The Diary of West Bengal फिल्म की रिलीज का रास्ता साफ होते दिख रहा है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस फिल्म की रिलीज पर अभी तक अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है।
The Diary of West Bengal
फिल्म की रिलीज पर फैसले को लेकर कोई भी आदेश देने से अदालत ने इनकार कर दिया है। कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी तरह की स्वस्थ आलोचना को रोका नहीं जाना चाहिए।
हाई कोर्ट में The Diary of West Bengal को रोकने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि फिल्म में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की गलत छवि पेश की गई है।
इस पर चीफ जस्टिस टी. एस. शिवज्ञानम और जज हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि वो इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं है, लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने याचिका के समर्थन में विस्तृत दलीलें देने की इच्छा जताई है।
इसलिए मामले को तीन सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। खंडपीठ ने कहा, हम एक सहिष्णु समाज हैं, पश्चिम बंगाल एक सहिष्णु समाज रहा है।
इस पर याचिकाकर्ता के वकील ज्वॉय साहा ने अदालत के समक्ष दावा किया कि सनोज मिश्रा द्वारा निर्देशित ये फिल्म दो समुदायों के बीच झगड़े को बढ़ावा देने का काम करती है।
पीठ ने कहा कि किसी पुस्तक, फिल्म या नाटक पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध संबंधी याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया हुआ है कि यह लोगों पर निर्भर है कि वे उन्हें देखेंगे या पढ़ेंगे या नहीं।
अदालत ने जनहित याचिका दायर करने वाले व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया और कहा कि अगर फिल्म में चित्रित किसी व्यक्ति को पीड़ा होती है, तो वह व्यक्ति अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।
The Diary of West Bengal – पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता विवादित फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाणपत्र रद्द करने का अनुरोध करते हुए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) का रुख कर सकता है।