उपराष्ट्रपति चुनाव – जाट समुदाय के ‘किसान पुत्र’ जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने साधे कई निशाने

विचार मंच

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को एनडीए ने अपना उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जगदीप धनखड़ को किसान पुत्र कहकर संबोधित किया।

जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने कई निशाने साधे

जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने कई निशाने साधे हैं। राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में जगदीप धनखड़ की अहम भूमिका रही है। धनखड़ खुद राजस्थान की जाट बिरादरी से आते हैं। इस समुदाय में धनखड़ की अच्छी खासी साख है।

किसान परिवार से आते हैं जगदीप धनखड़

जगदीप धनखड़ एक किसान परिवार से आतें हैं और आज जेपी नड्डा ने किसान पुत्र कहकर ही उन्हें संबोधित किया। इसी से साफ हो गया कि किसानों को साधने के लिए भी यह एक अहम कदम होगा।

कृषि कानून और जाट समुदाय

जगदीप धनखड़ राजस्थान के रहने वाले हैं, किसान परिवार से हैं और जाट समुदाय से आते हैं। तीन कृषि कानूनों में मोदी सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन में जाट किसान भी बड़ी तादाद में शामिल थे। कहा जा रहा था कि जाट भाजपा से नाराज हो रहें हैं। हालांकि, पिछले दिनों पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों पर इसका खास असर तो नहीं दिखा, लेकिन विपक्षी दल बार-बार इस मसले को उठाने की कोशिश करते हैं। 

 

ऐसे में जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाकर भाजपा यह भी बताना चाह रही है कि वह किसानों के बारे में सोचने वाली पार्टी है और इस फैसले से जाटों में भी एक संदेश जाएगा।

 

इसके अलावा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटरों और किसानों की संख्या अच्छी-खासी है। कई निर्वाचन क्षेत्रों में जाट वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राजस्थान में तो अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

राज्यपाल के तौर पर मुख्यमंत्री से रहा है टकराव

अगर बात करें जगदीप धनखड़ के राज्यपाल के कार्यकाल की तो सबसे ज्यादा चर्चा में वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में ही आए। जगदीप धनखड़ का पश्चिम बंगाल में कार्यकाल विवादों भरा रहा है। उनके और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच अक्सर ठनी रहती है।

मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर किया था ब्लॉक

जगदीप धनखड़ जुलाई 2019 में बंगाल के राज्यपाल बने। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनका लगातार टकराव होता रहा। दोनों के बीच तल्खी इस कदर बढ़ चुकी थी कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया था।

 

राज्यपाल नही होता रबड़ स्टाम्प – जगदीप धनखड़

राज्यपाल के रूप में धनखड़ ने बताया कि राज्यपाल रबड़ स्टाम्प नही होता। उन्होंने यह बात कई बार मीडिया के सामने, सोशल मीडिया पर कही। राज्यपाल बनने के बाद 2019 के दिसंबर में जादवपुर यूनिवर्सिटी के बाहर छात्रों ने धनखड़ को रोककर काले झंडे दिखाए थे।

 

इसके बाद से धनखड़ बंगाल की कानून व्यवस्था और वहां की सरकार की भूमिका को लेकर काफी मुखर रहे। वह सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट्स के जरिए यह लिखते रहे कि राज्यपाल के अधिकार क्या कहते हैं और किस तरह मुख्यमंत्री राज्यपाल को जानकारी देने के लिए बाध्य हैं। 

पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था पर लगातार उठाए सवाल

जगदीप धनखड़ ने लगातार पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कई बार राज्य में मानवाधिकार के हनन, तुष्टिकरण और हिंसा पर मुखर होकर अपनी बात रखी है। जिसके कारण उनकी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जुबानी जंग जारी रही।

 

तुष्टिकरण हमें ले डूबेगा

राज्यपाल के तौर पर इसी सप्ताह जगदीप धनखड़ ने कहा था कि तुष्टीकरण हमें ले डूबेगा। उन्होंने कहा था की तुष्टीकरण की संविधान में कोई जगह नही है।

TMC ने जगदीप धनखड़ को पद से हटाने की मांग की थी

जगदीप धनखड़ और तृणमूल के बीच जारी टकराव इतना बढ़ चुका था कि पिछले साल दिसंबर में तृणमूल के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर धनखड़ को हटाने की सिफारिश की थी। तृणमूल ने कहा था- संविधान की धारा 156 की उपधारा 1 के तहत हमने राज्यपाल को हटाने की अपील की है, क्योंकि उन्होंने संविधान का पालन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं माना, लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया।

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