कोलकाता। जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पुण्यतिथि पर याद करते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा है कि डॉक्टर मुखर्जी राष्ट्रवाद की प्रेरणा हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि “एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं चलेंगे” के उनके सपने को आज पूरा कर दिया गया है।
12 जनवरी मेरे लिए गौरवशाली पल – राज्यपाल
मंगलवार को राज्यपाल ने दो ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि आज पश्चिम बंगाल के गौरवशाली बेटे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद कर रहा हूं जिन्होंने राष्ट्र की एकता के लिए खुद को कुर्बान कर दिया। “एक देश में दो विधान दो निशान को प्रधान नहीं चलेंगे” के उनके सपने को आज पूरा किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साहसिक कोशिशों की वजह से आज अनुच्छेद 370 और 35 ए को निष्प्रभावी कर दिया गया है। 12 जनवरी मेरे लिए गौरवशाली पल था जब मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ था और उन्होंने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। उनकी प्रेरणा राष्ट्रवाद को बल देने वाली है। हमें उनसे राष्ट्र को प्राथमिकता देनी सीख लेनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि छह जुलाई 1901 को कोलकाता में जन्मे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी प्रखर राष्ट्रवादी थे। आजादी के बाद जब देश का बंटवारा हो गया और जम्मू-कश्मीर में अलग संविधान को स्वीकृति दे दी गई थी तब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुखर आंदोलन चलाया था। उन्होंने नारा दिया था कि एक देश में दो विधान दो निशान दो प्रधान नहीं चलेंगे।
देश बंटवारे के समय पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश में जाने से रोकने में भी उनकी भूमिका बहुत बड़ी थी। 23 जून 1953 को श्रीनगर दौरे के दौरान उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी जिसके राज आज तक नहीं खुले हैं। गत 12 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की 150वीं वर्षगांठ में आए थे और इस पोर्ट का नाम डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने की घोषणा की थी। अब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है।
