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सवर्णों को १०% आरक्षण पर क्या कहती है जनता

विचार मंच

सनलाइट ने इस बिल को लेकर जानी लोगों की राय

सनलाइट। मोदी सरकार ने अपने मास्टरस्ट्रोक के तहत लोकसभा चुनावों से पहले  आर्थिक तौर पर कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फ़ैसला किया है। लोकसभा के बाद यह बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। राज्यसभा में हुई वोटिंग में बिल के पक्ष में 165, जबकि विरोध में सिर्फ 7 वोट पड़े। राष्ट्रीय जनता दल और AIADMK ने इस बिल का विरोध किया।  बता दें कि इस विधेयक के तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 जनवरी को इस बिल को मंजूरी दी थी।

इस बिल के पास होने के बाद से ही लोगों में अलग अलग प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ लोगों ने इसे सवर्णों के लिए जरुरी कदम बताया तो किसी ने इसे चुनावी लॉलीपॉप बताया। कुछ इस बिल पर हुई देर पर सवाल दाग रहें है तो कोई इस बिल के लागू होने में आने वाली दिक्कतों को गिना रहा है।सनलाइट ने इस बिल को लेकर लोगों की राय जानी-

अशोक पुरोहित ने इसे चुनावी जुमला बताते हुए कहा कि sc st एक्ट के बाद सवर्णों ने नोटा दबा के जो फैसला दिया उसे वापस न देखना पड़े इसके लिए आरक्षण का लॉलीपॉप दिया है।

satya pandeyसत्या पाण्डे का कहना है कि 10%  आरक्षण से गरीब सवर्ण को लाभ मिले चाहे ना मिले, लेकिन दलित-पिछडे के नाम पर होने वाली राजनीति खत्म जरुर होगी।

vinod vyasविनोद व्यास इस कदम की सराहना करते हुए कहते हैं कि बहुत समय से इसकी जरुरत थी। इससे सवर्णों को बहुत लाभ मिलेगा।

sanjay singhसंजय सिंह, सरकार के इस फैसले को सवर्ण के लिए एक अच्छा फैसला मानते हैं।

 

binod shrimaliश्रीमाली इंडस्ट्रीज के बिनोद कुमार श्रीमाली का कहना है कि यह कदम हर समुदाय के लिए होना चाहिए।

 

shambhu pandeyशम्भू पांडे(नेशनल प्रेसिडेंट, युथ सेल, नेशनल ह्यूमन राईट फेडरेशन) का कहना है कि तीन राज्य में मिली हार के बाद सरकार की नींद खुली है, अब देखना ये है कि सरकार, आरक्षण के इस लॉलीपॉप को लागू कैसे करती है।

anil upadhyayअनिल उपाध्याय, अध्यक्ष- राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ (पश्चिम बंग) का कहना है कि मुझे नहीं लगता कि पीएम मोदी पर पूर्ण रूप से यकिन करना चाहिए कि वह सवर्णों का साथ देंगे। अगर उन्हें सवर्णों का साथ देना होता तो सरकार sc st एक्ट नहीं लाती।

राजेश ओझा का कहना है कि देश के सामाजिक समरसता को बनाये रखने हेतु हमलोग के प्रधान मंत्री द्वारा उठाया गया बहुत ही साहसिक एवं ऐतिहासिक कदम है। जो काम आजादी के बाद कोई भी पीएम नहीं कर सके वो काम कर दिखाया है जिसके लिए वो अनंत बधाई के पात्र है।

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