इंडिया करप्शन सर्वे-2019 की रिपोर्ट के मुताबिक दो में से एक भारतीय व्यक्ति ने अपने काम की एवज में रिश्वत का भुगतान किया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष भ्रष्टाचार के मामले में भारत की रेकिंग में सुधार हुआ है।
इंडिया करप्शन सर्वे-2019 की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस, नगर पालिका और परिवहन विभागों द्वारा संपत्ति पंजीकरण के दौरान सबसे अधिक रिश्वत की मांग की गई थी।
रिपोर्ट में देशभर के 248 जिलों से कुल एक लाख 90 हजार आवेदनों के माध्यम से मूल्यांकन किया गया है, जिसमें पता चला कि पिछले 12 महीने में भ्रष्टाचार के मामले घटकर 51 फीसदी पर आ गए हैं, जो 2018 में 56 फीसदी पर थे। इस सर्वे रिपोर्ट को ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकलसर्कल्स ने मिलकर तैयार किया है।
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत की रैंकिंग में 2018 की तुलना में तीन स्थानों का सुधार हुआ है। वर्तमान में भारत 180 देशों में 78वें स्थान पर है, गत वर्ष उसका स्थान 81वां था। रिश्वतखोरी के ज्यादातर मामले प्रॉपर्टी रजिस्ट्री से ही निकल कर सामने आ रहे हैं। इसके अलावा पुलिसिया व्यवस्था में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की घटनाओं पर अब भी लगाम नहीं कसी जा सकी है। इस साल की रिपोर्ट में भी पुलिसिया भ्रष्टाचार के मामलों में कोई कमी नहीं आई है।
20 राज्यों में कराए गए इस सर्वे में दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, केरल, गोवा और ओडिशा कुछ ऐसे राज्य हैं जहां भ्रष्टाचार के कम मामले दर्ज किए गए या सामने आए। वहीं राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड और पंजाब में यह मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इन राज्यों में भ्रष्टाचार के इतने मामले सामने आए हैं कि देश का औसत भी बिगड़ गया है।
