मोदी मंत्रिमंडल ने सोमवार को आगामी आम चुनाव से पहले आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया है। हालांकि, फैसले पर सरकार की ओर से अभी औपचारिक एलान होना बाकी है। लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम कई मायनो में अहम है। राजनीतिक जानकारो की मानें तो एससी-एसटी एक्ट अध्यादेश पारित करने के बाद सवर्ण वोटर भाजपा से नाराज हो गए थे, जिसका खामियाजा भाजपा को हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में उठाना पड़ा।
भाजपा को वोट देने की जगह नोटा का विकल्प चुनने वाले नाराज सवर्ण वोटरों के कारण भाजपा ने कई ऐसी सीटें गवां दी, जहां जीत के अंतर से ज्यादा नोटा के पक्ष में वोट पड़े थे। ऐसी स्थिति में चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह कदम सवर्ण वोटरों की नाराजगी दूर कर उन्हें एक बार फिर से अपनी ओर गोलबंद करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
