मुक्ति और बन्धन मन से होते हैं – योगाचार्य राजेश व्यास

सामाजिक

सनलाइट। मुक्ति और बन्धन मन से होते हैं, मन से ही हम मुक्त होते हैं और मन से हम बन्धन में बंधते है। ये बातें योगाचार्य राजेश व्यास ने श्री कृष्ण ध्यान योग पद वंदना एवं ध्यान योग सत्र कार्यक्रम में कही।

 

श्री कृष्ण योग ट्रस्ट द्वारा अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर आयोजित लाइव कार्यक्रम में योगाचार्य राजेश व्यास ने महाभारत में अर्जुन कृष्ण संवाद का उल्लेख करते हुए बताया कि मन पर नियंत्रण करना ही योग है। राग द्वेष से रहित होना ही योग है। महात्मा अर्जुन को माध्यम बना कर सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण हेतु श्री कृष्ण कहते हैं कि तू योगी हो जा। तपस्वियों से, ज्ञानियों से भी योगी श्रेष्ठ है।

 

योगाचार्य राजेश ने इस दौरान महाभारत के कई प्रसंगों का उदाहरण देते हुए ध्यान योग की महत्ता बताई। ध्यान योग का अभ्यास कराते हुए राजेश व्यास ने बताया कि हर व्यक्ति आत्मिक और मानसिक लाभ के लिए शांति चाहता है और शांति हमें ध्यान योग के द्वारा ही मिल सकती है। ध्यान मन का विश्राम है, ध्यान मन का व्यायाम है और इस शरीर को साधने वाले मन को साधने का साधन ध्यान है।

 

उन्होंने कहा कि हमारी भूलोक की चल रही यात्रा के बाद की यात्रा के लिए ध्यान योग द्वारा अर्जित किया गया धन ही काम आएगा, अतः हमें आगे की यात्रा के लिए प्राण योग, साधना आदि का अभ्यास करना अत्यंत आवश्यक है।

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