मोदी कैबिनेट में बदलाव को लेकर चर्चा चल रही है और इसी सप्ताह विस्तार संभव माना जा रहा है। अगर फेरबदल होता है तो 2019 में दूसरी बार चुनकर आने के बाद यह पहला मौका होगा जब मोदी कैबिनेट का विस्तार होगा। कई नामों की चर्चा खूब है, खासतौर से उन पांच राज्यों के नेताओं के जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट होते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्वानंद सोनोवाल, वरुण गांधी और राजस्थान के चूरू से सांसद राहुल कस्वां का नाम चर्चा में आ गया । सिंधिया ने जिस तरह मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराने और बाद में उपचुनाव जिताने में भूमिका निभाई, उसका फल उन्हें केंद्रीय मंत्री की कुर्सी के रूप में मिल सकता है। सिंधिया आज ही दिल्ली लौट रहे हैं।
सनोवाल ने हिमंता बिस्व सरमा के लिए असम के मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया। इसी के बाद अटकलें लगने लगी थीं कि उन्हें दिल्ली भेजा जाएगा। असम में पार्टी के भीतर किसी तरह की खींचतान न शुरू हो, इसके लिए भी सोनोवाल को केंद्र में जगह देने की पूरी तैयारी है। वे राज्यसभा के जरिए संसद पहुंच सकते हैं।
अगले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव होने है और वरुण गांधी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से सांसद हैं। ऐसे में यूपी के कोटे से वरुण को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
राम विलास पासवान के निधन के बाद उनके भाई पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सकता है।
इन सबके अलावा मंत्रिमंडल के लिए बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले तृणमूल छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले दिनेश त्रिवेदी, उड़ीसा से बैजयंत पांडा, बिहार से सुशील मोदी, महाराष्ट्र से प्रीतम मुंडे, नारायण राणे, मीनाक्षी लेखी, कर्नाटक से राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर और संसद में अपने भाषण से मशहूर हुए लद्दाख के सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल का नाम चर्चा में हैं।
