गृहस्थ हो या सन्यासी, बालक या वृद्ध, सबके लिए आवश्यक है योग – योगाचार्य व्यास

सामाजिक स्वास्थ्य

योग दिवस के अवसर पर पंच दिवसीय योग चर्चा के दूसरे दिन योगाचार्य व्यास ने बताया कि चाहे कोई गृहस्थ हो या सन्यासी योगयुक्त होना सबके लिए उत्तम, लाभदायक ही नहीं बल्कि कहा जाए की जरूरत है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

योगाचार्य व्यास ने कहा कि चाहे संसार समुद्र की यात्रा करनी हो, इस यात्रा रूपी युद्ध में विजयी होना हो या लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति का हो शरीर रूपी रथ का ठीक रहना पहली शर्त है। कर्ण अर्जुन से श्रेष्ठ धनुर्धर होते हुए भी रथ के फंस जाने के कारण ही मारा गया।

प्रायः ही कहा जाता हैं शरीर व्याधियों का मंदिर है लेकिन योग इसको वह मंदिर बनाता है जिसमे आत्मा रूप में परमात्मा स्वयं निवास करते हैं। व्याधियों के मंदिर से आराध्य के मंदिर बनने की इस संभावना को साकार करता है योग। आज पूरे विश्व में योगेश्वर प्रदत्त योग की प्रशंसा करते विज्ञान, थक नहीं रहा यह सबके लिए गौरव और सुकून प्रदान करने वाली बात है।

 

उल्लेखनीय है कि सनलाइट ने अपने पाठकों के लिए पंच दिवसीय योग चर्चा शुरू की है। इन सत्रों में योगाचार्य राजेश व्यास योग से होने वाले लाभ बताते हुए प्रतिदिन एक विषय पर चर्चा करेंगे।

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