नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कर्नाटक के बागी विधायकों को कल यानि 18 जुलाई को होने वाले विश्वास मत प्रस्ताव में भाग लेने, नहीं लेने की स्वतंत्रता है। उन्हें विश्वास मत प्रस्ताव में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर जब चाहें तब विधायकों के इस्तीफे पर फैसला ले सकते हैं। हम स्पीकर को फैसला लेने के लिए दिशा-निर्देश नहीं दे सकते हैं। जब वे फैसला ले लेंगे तो उसे कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा। कोर्ट ने पिछले 16 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत के इस फैसले से कुमारस्वामी सरकार को तगड़ा झटका लगने की आशंका है। फ्लोर टेस्ट में उनकी सरकार अल्पमत में आ सकती है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा था कि पिछले 20-30 सालों में हमने स्पीकर का कद ऊंचा किया है लेकिन उसका हुआ क्या? हमें इस पर विचार करना चाहिए। चीफ जस्टिस ने विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी और स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा था कि आप दोनों की दलीलों में दम है और हम उसमें संतुलन कायम करेंगे।
