One Nation One Election vote

One Nation One Election – देश के लिए नया नहीं है ‘वन नेशन वन इलेक्शन’, 4 बार हो चुके हैं एक साथ चुनाव

देश विशेष

One Nation One Election को लेकर देश में माहौल बन गया है बन गया है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का जो विशेष सत्र बुलाया है जिसमें एक देश-एक चुनाव को लेकर बिल पेश किया जा सकता है।

वन नेशन वन इलेक्शन

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार की ओर से पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक समिति का गठन किया गया है, जो इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। ऐसा नहीं है कि देश में पहली बार एक देश एक चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हुई हो। देश ने पहले भी एक देश एक चुनाव देखा है और वो भी 4 बार। 1951-52 में,1957 में, 1962 में और 1967 में चुनाव एक साथ हुए थे लेकिन बदलते राजनीतिक हालात के कारण यह परंपरा खत्म होती चली गई।

कैसे टूट गई One Nation One Election की परंपरा

एक देश एक चुनाव की परंपरा टूटने की शुरुआत का करण बनी कई राज्यों में बदली सियासी परिस्थितिया जिसकी वजह से कहीं विधानसभा को समय से पूर्व ही भंग करना पड़ा तो कहीं सरकार ही गिर गई। उत्तर प्रदेश में 1967 के विधानसभा चुनाव में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, यहां गठबंधन की सरकार बनी लेकिन कुछ दिन बाद ही सरकार गिर गई इसी वजह से फिर चुनाव की स्थिति बन गई।

One Nation One Election – 2018 में क्या थी लॉ कमीशन की रिपोर्ट?

लॉ कमिशन ने 2018 में एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इस रिपोर्ट में उसने देश में एक चुनाव कराए जाने की बात कही गई थी। कहा गया था कि एक चुनाव देश के प्रशासनिक, आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए सही रहेंगे। लॉ कमीशन ने कहा, एक देश, एक चुनाव इसलिए फायदे मंद होगा क्योंकि यह देश को लगातार चुनावी स्थिति में पड़े रहने से बचाएगा।

One Nation One Election – एक साथ पूरे देश में चुनाव होने से बचेंगे सरकार के पैसे

2018 में बने इस लॉ कमीशन ने स्पष्ट तौर पर लिखा था कि लोक सभा और राज्य विधान सभा में एक साथ चुनाव कराने से सार्वजनिक धन की बचत होगी। उन्होंने कहा, इससे प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा बलों पर भी बोझ कम होगा। इसके अलावा सरकार यह सुनिश्चित कर सकेगी की सरकारी नीतियों बेहतर ढंग से आम लोगों तक पहुंच सकें, क्योंकि एक बार चुनाव हो जाने से अमूमन पांच सालों तक चुनाव नहीं होंगे।

वन नेशन वन इलेक्शन भारत की जरूरत – PM Modi on One Nation One Election

कोरोना काल के दौरान एक संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था कि एक देश एक चुनाव भारत की जरूरत है, हर कुछ महीने में देश में कहीं ना कहीं चुनाव हो रहे होते हैं। इसकी वजह से विकास के कार्यों पर जो प्रभाव पड़ता है वो काफी गंभीर है, लोकसभा-विधानसभा और पंचायत चुनाव में एक ही वोटर लिस्ट होनी चाहिए, ये भी अभी के लिए जरूरी है।

साल 2019 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी इस पर बात

साल 2019 में जब संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा हुई, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर बात की थी। प्रधानमंत्री ने तब कहा था, ‘1952 से लेकर आजतक चुनाव में रिफॉर्म होते रहे हैं और होते रहने चाहिए। इसको लेकर चर्चा भी जरूरी है। लेकिन एक देश एक चुनाव को सीधा नकार देना गलत है, हर नेता इस बात की चर्चा करता है कि एक देश एक चुनाव होना चाहिए, ताकि 5 साल में एक बार चुनाव हो और काम चलता रहे।

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा था, ‘कम से कम देश में एक मतदाता सूची तो हो, आज हर चुनाव में अलग सूची बनती है। पंचायत चुनाव वाली जो सूची होती है, वो सबसे कारगर होती है। ऐसे ही पोलिंग स्टेशन को लेकर भी है, हर व्यक्ति को उसके पोलिंग स्टेशन के बारे में पहले से ही पता होना चाहिए।

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