Sonar kella

Sonar kella के 50वें वर्ष प्रवेश पर सेमिनार आयोजित

कोलकाता मनोरंजन

सनलाइट, कोलकाता। सत्यजीत रे की राजस्थानी पृष्ठभूमि पर बनी सफलतम कालजयी फ़िल्म Sonar Kella के 50वें साल में प्रवेश पर कोलकाता राजस्थान सांस्कृतिक विकास परिषद द्वारा राजस्थान सूचना केंद्र में सेमिनार का आयोजन किया गया।

Sonar kella के 50वें वर्ष प्रवेश पर सेमिनार आयोजित

सेमिनार की अध्यक्षता राजस्थान सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक हिंगलाजदान रतनू ने की।

उन्हीने कहा कि Sonar kella फ़िल्म से जैसलमेर को एक विशिष्ट पहचान और ख्याति मिली जिससे वहां पर्यटन भारी मात्रा में बढ़ा।

कोलकाता राजस्थान सांस्कृतिक विकास परिषद का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने आयोजन को महत्वपूर्ण बताया और सेमिनार में पारित प्रस्तावों का समर्थन करते हुए सोनार केल्ला में उचित जगह पर सत्यजीत राय की मूर्ति लगाने के प्रयास की बात कही।

जादवपुर विश्व विद्यालय की फ़िल्म स्टडीज विभाग के पूर्व प्रोफेसर, लेखक, बांग्ला साहित्य- संस्कृति और सिनेमा के शिखर सम्मान से सम्मानित प्रो. संजय मुखोपाध्याय ने सेमिनार का उद्धाटन करते हुए कहा कि बंगाल और राजस्थान के बीच बंगाल के कई मनीषियों ने सेतु बंधन का कार्य किया है।

इनमें बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, रबीन्द्रनाथ ठाकुर और सत्यजीत राय प्रमुख है। सत्यजीत राय ने सोनार केल्ला फ़िल्म बनाकर राजस्थान के साथ मैत्री संबंध बनाने में विशेष भूमिका निभाई है।

भारत सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, कोलकाता सर्किल के सुपेरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट डॉ. राजेन्द्र यादव ने सोनार केल्ला के आर्किटेक्ट और पुरातात्विक महत्व के बारे में प्रेजेंटेशन देते हुए जैसलमेर के प्राचीन हवेलियों, उनके स्थापत्य और महत्व पर प्रकाश डाला।

नेशनल अवार्ड के ज्यूरी सदस्य, फ़िल्म क्रिटिक और लेखक शिलादित्य सेन ने Sonar kella को लेकर बंगाली नस्टोलिजिया और उन्माद के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि सोनार केल्ला के माध्यम से सत्यजित राय ने बंगालियों का परिचय राजस्थान से कराया।

फ़िल्म इतिहासकार, लेखक और सत्यजीत राय के लेखन और फिल्मों के विशेषज्ञ देबाशीष मुखोपाध्याय ने Sonar kella पुस्तक और फ़िल्म का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए फ़िल्म की बारीकियों पर चर्चा की।

शिव सारदा ने फ़िल्म के माध्यम से बंगाली और राजस्थानी समाज के संबंधों पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम की शुरुआत में कंसर्न फ़ॉर अर्थ के प्रेजिडेंट पर्यावरण सचेतक संतोष मोहता ने पौधे देकर तथा नवनीत दमानी ने इत्र भेंट कर अतिथियों का अभिनंदन किया।

परिषद के अध्यक्ष प्रकाशचंद्र मूंधड़ा ने अपने प्रेषित संदेश में राजस्थानी और बंगाली मध्यम वर्ग में निरंतर संवाद का आह्वान करते हुए सभी का स्वागत किया।

कोलकाता राजस्थान सांस्कृतिक विकास परिषद के महासचिव केशव कुमार भट्टड़ ने संचालन करते हुए फ़िल्म में अंतर्निहित सत्यजीत राय के भावपक्ष पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर डॉ. अशोक सिंह, संतोष व्यास, जितेंद्र जितांशु, मीनाक्षी सांगानेरिया, बी एम दमानी सहित कई गणमान्य जन उपस्थित थे।

सोनार केल्ला के 50वें साल में उस स्थान पर सत्यजीत राय की मूर्ति लगाना, 50वें साल में पर्यटकों के लिए उचित मूल्य पर Sonar kella टूर शुरू करना,

इस वर्ष राजस्थानी और बंगाली समाज के विद्वानो की नियमित अंतराल पर बैठक करना, सोनार केल्ला को हिंदी में डब करा कर पुनः प्रदर्शित करवाना,

Sonar kella के 50वें साल में राजस्थान में प्रति वर्ष आयोजित होने वाले “मरु महोत्सव” में राज्य के साहित्य, संस्कृति , कला और सिनेमा के विद्वानों के प्रतिनिधि मंडल को राजस्थान सरकार द्वारा आमंत्रित करना आदि प्रस्ताव इस आयोजन में रखे गए।

Sonar kella
Share from here