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OBC Certificate – कलकत्ता हाईकोर्ट ने रद्द किए 2011 से जारी हुए ओबीसी सर्टिफिकेट

बंगाल

OBC Certificate – कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2011 से 2024 तक के समय मे जारी राज्य के सभी ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिए हैं।

OBC Certificate

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि फैसला सुनाए जाने के बाद रद्द किए गए OBC Certificate का इस्तेमाल किसी भी रोजगार प्रक्रिया में नहीं किया जा सकता है।

हाई कोर्ट के इस आदेश के परिणामस्वरूप करीब पांच लाख ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द हुए हैं। हालांकि, साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि फैसले का असर उन लोगों पर नहीं पड़ेगा जिन्होंने पहले से ही इस प्रमाणपत्र का उपयोग कर लिया है।

कलकत्ता हाई कोर्ट का कहना है कि 2010 के बाद जितने भी OBC Certificate बनाए गए हैं, वे कानून के मुताबिक ठीक से नहीं बनाए गए हैं इसलिए उस प्रमाणपत्र को रद्द किया जाना चाहिए।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायाधीश राजशेखर मंथा ने बुधवार को फैसला सुनाया।

उनकी पीठ ने कहा, ”इसके बाद राज्य विधानसभा को यह तय करना है कि ओबीसी कौन होगा।” पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ओबीसी की सूची निर्धारित करेगा।

उस सूची को राज्य विधानमंडल या विधानसभा को भेजा जाना चाहिए। जिनके नामों को विधानसभा मंजूरी दे देगी, उन्हें बाद में ओबीसी माना जाएगा।

जिस मामले के आधार पर हाई कोर्ट ने बुधवार को यह आदेश दिया, वह मामला 2012 में दायर किया गया था।वादियों की ओर से वकील सुदीप्त दासगुप्ता और विक्रम बनर्जी अदालत में पेश हुए।

उन्होंने कहा कि वाम मोर्चा सरकार ने 2010 में एक अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर पश्चिम बंगाल में ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ बनाया। उस कैटेगरी को ‘ओबीसी-ए’ नाम दिया गया लेकिन अगले वर्ष, वाम मोर्चा बंगाल हट गई।

2011 में तृणमूल सत्ता में आई। नई सरकार सत्ता में आई और उस श्रेणी पर अंतिम रिपोर्ट के बिना एक सूची बनाई और कानून बनाया। जिसके आधार पर तृणमूल सरकार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

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