Bangladesh – भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में आए बड़े संकट और हिंसक प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अचानक पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा है।
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इस पूरे घटनाक्रम का असर भारत पर भी पड़ने वाला है। चाहे रिश्ते हो, सुरक्षा हो या फिर द्विपक्षीय समझौते जिनपर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए थे।
Bangladesh के सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने घोषणा की है कि सेना की मदद से नई अंतरिम सरकार बनाई जाएगी। हालांकि अभी भी Bangladesh में अराजकता का माहौल है।
बड़ी संख्या में भीड़ सड़कों पर उतरी हुई है और लूटपाट व आगजनी करने में लगी है। खबर ये भी आ रही हैं कि बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं के घरों में भी आग लगाई जा रही है।
बात करें भारत पर पड़ने वाले असर की तो इसका कई क्षेत्रों में असर दिख सकता है। इसे भांपते हुए ही कल रात को पीएम मोदी की अध्यक्षता में सीसीएस की बैठक हुई।
शेख हसीना की सरकार का भारत के प्रति झुकाव रहता था। मगर, जिस तरह से उनको देश छोड़कर भागना पड़ा है इससे एक बात साफ है कि देश में कट्टरपंथी तत्वों का उदय हो रहा है।
शेख हसीना की पार्टी ने इसके पीछे जमात-ए-इस्लामी को जिम्मेदार बताया है जिस पर पाकिस्तान समर्थक होने का आरोप लगता रहा है।
भारत के नजरिए से देखें तो पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश का बॉर्डर लगता है। यहां पर समय-समय पर घुसपैठ की खबरें आती रहती हैं।
ऐसे में अगर यहां पर कोई कट्टर या अस्थिर सरकार बनती है तो आने वाला समय भारत के लिए काफी कठिन होगा। शरणार्थियों के आने से भारत को सावधानीपूर्वक निपटना होगा।
इसके अलावा, चीन की भी इस पूरे घटनाक्रम पर नजर होगी, क्योंकि वह भी Bangladesh संकट का फायदा उठाकर यहां पर पाकिस्तान को अधिक सक्रिय करना चाहेगा, जिससे भारत को अस्थिर करने में मदद मिल सके।
इसके साथ ही भारत ने हाल ही में बांग्लादेश के साथ मोंगला बंदरगाह को लेकर समझौता किया था, जिसको चीन के लिए एक अहम चुनौती माना जा रहा था।
इसके माध्यम से भारत-बांग्लादेश हिंद महासागर के पश्चिमी और पूर्वी किनारों पर मजबूत पकड़ बनाने में कामयाब हुआ था।
लेकिन जिस तरह से वहां पर शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हुआ है, उससे आने वाले समय में यह परियोजना थोड़ी अधर में लटक जाएगी।
Bangladesh में बनने वाली नई सरकार में अगर कट्टरपंथियों का उदय होता है तो वो हसीना द्वारा भारत के साथ हस्ताक्षरित समझौतों को रद्द कर सकता है।
पश्चिम बंगाल के साथ-साथ असम, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा की सीमा भी बांग्लादेश से लगती है। शेख हसीना के साथ मिलकर भारत इन पूर्वोत्तर राज्यों में शांति स्थापित करने में लगा हुआ था, क्योंकि कुछ विद्रोही गुट ऐसे थे जो वारदात के बाद बांग्लादेश भाग जाते थे।
मगर, हसीना की सरकार आने के बाद ऐसा करना उनके लिए काफी मुश्किल भरा रहा है। इसी दबाव में ज्यादातर ने भारत के साथ शांति संधि की।
हालांकि म्यांमार में तख्तापलट के बाद अभी भी कुछ गुट उधर चले जाते हैं। वहां पर उनकी मदद चीन करता है। ऐसे में भारत के लिए सीमा पर आने वाला समय थोड़ा मुश्किल भरा रहेगा।
व्यापार की बात करें तो बांग्लादेश के कपड़ा और परिधान उद्योग दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। भारत प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण और गुणवत्ता के कारण बांग्लादेश से तैयार वस्त्र, वस्त्र और बुना हुआ कपड़ा का एक महत्वपूर्ण मात्रा में आयात करता है। ऐसी स्थिति में हो सकता है कि बंगलादेश से आने वाले समान महंगे हो जाएं