सनलाइट, कोलकाता। सार्वजनिक दुर्गोत्सव का 87 वां आयोजन कर रही Kashi Bose Lane दुर्गा पूजा समिति इस साल बंगाल और भारत के असंख्य रत्नों को सम्मान देगी।
Kashi Bose Lane
सेक्रेटरी सोमेन दत्ता ने बताया कि हर माँ अपने गर्भ में एक रत्न को पालती है जिसे अनमोल रत्नों की जननी भी कहा जा सकता है। इस वर्ष Kashi Bose Lane पण्डाल की थीम रत्नगर्भा भी इसी पर आधारित है।
दत्ता ने बताया कि राजा राम मोहन राय और ईश्वरचन्द्र विद्यासागर दोनों ने भारतीय इतिहास के समृद्ध ताने-बाने में बंगालियों का कद बढ़ाया है। राजा राम मोहन राय को भारत का “पहला आधुनिक पुरुष” कहा जाता है।
उन्होंने सामाजिक बुराइयों को साहसपूर्वक चुनौती दी, अनगिनत ,महिलाओं की गरिमा को बनाए रखा, कई युवा लड़कियों को “दुर्गा” के रूप में उभरने के लिए सशक्त बना कर जीवन की मुख्यधारा में वापस लाये।
जबकि पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने हमें सिखाया कि सभी बाधाओं से कैसे लड़ना है। उनकी कलम सामाजिक सुधार के लिए एक शक्तिशाली उपकरण थी। उन्होंने उस नींव को रखा और भविष्य के लिए बीज बोए जिस पर आज हम खड़े हैं।
उन्होंने एक ऐसी दुनिया की कल्पना की जहाँ शिक्षा लैंगिक बाधाओं को पार करती है तथा सभी को ज्ञान में एकजुट करती है। उनकी दृष्टि से आकार लेने वाला समाज ऐसे रत्नों को जन्म देता रहे इसलिए हम इन दो महान विभूतियों की कथाओं के माध्यम से बंगाल और भारत के असंख्य रत्नों को सम्मान दे रहे हैं।
सेक्रेटरी सोमेन दत्ता ने बताया कि 1937 में शुरू की गई उत्तर कोलकाता में सबसे पुरानी बरोवारी पूजाओं में से एक Kashi Bose Lane पूजा कोलकाता की समृद्ध विरासत और विरासत को समृद्ध करती है तथा हर साल इस भव्य उत्सव में नए आयाम जोड़ती है।
हमारी पूजा बंगाली संस्कृति और विरासत के सच्चे सार को बनाए रखने में अग्रणी है। एक ओर काशी बोस लेन आधुनिक समाज की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों को संबोधित करते हुए अद्वितीय, प्रभावशाली थीम प्रस्तुत करता है।
दूसरी ओर अपनी सदियों पुरानी परंपराओं को संरक्षित करना जारी रखते हैं। पूजा अनुष्ठान ‘प्रतिपदा’ से शुरू होता हैं और ‘षष्ठी’ से ‘नवमी’ तक सभी आगंतुकों के बीच ‘भोग’ वितरित किया जाता है।
