Calcutta HC – पत्नी के घर वालों और दोस्तों का उसके पति की इच्छा के विरुद्ध उसके घर में लंबे समय तक रहना वैवाहिक क्रूरता के समान है। यह टिप्पणी कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई में की।
Calcutta HC
कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस क्रूरता के आधार पर 2008 में दायर एक तलाक के मामले में आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि पत्नी के परिवार के लोग और दोस्त उसकी ससुराल में पति की इच्छा के बगैर लंबे समय तक रहते हैं तो यह क्रूरता के दायरे में आता है।
मामले में पति का आरोप यह था कि शादी के एक साल बाद नौकरी के लिए वो लोग कोलाघाट आ गए। 2008 में पत्नी नारकेलडंगा चली गई और फिर उत्तरपाड़ा चली गई।
इस दौरान पत्नी के परिवार के सदस्य और एक मित्र पति के ही घर में रह रहे थे। इस कारण पति दिन-प्रतिदिन अधिक निराश होता गया।
व्यक्ति ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सवाल उठाया कि पत्नी का परिवार पति के घर में क्यों रह रहा है, जबकि वे दोनों अलग रह रहे हैं।
इस मामले की सुनवाई के दौरान Calcutta HC ने कहा कि पत्नी के परिवार के सदस्यों या दोस्तों का पति की इच्छा के विरुद्ध लम्बे समय तक ससुराल में रहना क्रूरता है। विशेषकर जब उसकी पत्नी घर से दूर हो। साथ ही कोर्ट ने तलाक की भी इजाजत दे दी।