पश्चिम बंगाल की बनगांव नगरपालिका में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के पार्षदों की संख्या 10 से बढ़कर 14 हो गयी है। राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक की मौजूदगी में गुरुवार को भाजपा के चार पार्षद फिर से तृणमूल कांग्रेस में लौट आए।
तृणमूल के 11 पार्षद भाजपा में चले गए थे
22 पार्षदों वाली बनगांव नगर पालिका में तृणमूल कांग्रेस के 21 और माकपा के एक पार्षद जीते थे। तृणमूल के 11 पार्षद भाजपा में चले गए थे। अब जब चार पार्षद वापस तृणमूल में लौटे हैं तो सत्तारूढ़ पार्टी के पार्षदों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है, जबकि भाजपा के पार्षदों की संख्या घटकर सात हो गई है।
16 जुलाई को लाया गया था बनगांव नगरपालिका में अविश्वास प्रस्ताव
उल्लेखनीय है कि नगर पालिका में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पूर्व में जमकर हिंसा हुई थी। इसे लेकर हाईकोर्ट की न्यायधीश समाप्ति चटर्जी ने तृणमूल कांग्रेस को फटकार लगाते हुए कहा था कि संख्या बल नहीं होने के बावजूद नगर पालिका चेयरमैन की कुर्सी दखल कर रखने की मानसिकता लोकतंत्र पर कुठाराघात है। गत 16 जुलाई को बनगांव नगरपालिका में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। यहां तृणमूल की ओर से शंकर आट्य पालिका चेयरमैन हैं। उनके पक्ष में 10 पार्षद थे जबकि भाजपा के पक्ष में 11 पार्षद। कायदे से वह अविश्वास प्रस्ताव हारने वाले थे लेकिन उस दिन भाजपा के नौ पार्षदों को नगरपालिका के एक कमरे में बंदी बना दिया गया, जबकि दो पार्षदों को न्यायालय का आदेश होने के बावजूद पुलिस ने नगरपालिका परिसर में घुसने नहीं दिया था।
इसके बाद नगरपालिका के कार्यकारी अधिकारी ने जिलाधिकारी के पास रिपोर्ट दी जिसमें कहा गया था कि तृणमूल कांग्रेस विश्वास वोट जीत गई है। इस पर पूर्व में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति चटर्जी ने अविश्वास प्रस्ताव को निरस्त कर दिया था और इसे नए सिरे से लाने का निर्देश दिया था। उन्होंने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि जिस दिन बनगांव नगर पालिका में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया उस दिन अगर पुलिस निष्पक्ष तरीके से काम करती तो हिंसा भी नहीं होती और प्रस्ताव पर वोटिंग भी सही तरीके से होती।
