Dev Uthani Ekadashi कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। देवउठनी एकादशी का दिन श्री हरि विष्णु को समर्पित है।
Dev Uthani Ekadashi 2023
इस दिन श्री हरि विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। इसके बाद से ही सभी मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।
इस साल 23 नवंबर 2023 को देवउठनी एकादशी है। इसके बाद से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
ज्योतिष प्रभाकर डॉ राकेश व्यास ने बताया कि एकादशी 22 नवंबर को रात को 11 बजकर 03 मिनट से शुरु हो रही है, जो 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम और मां तुलसी से विवाह (Tulsi vivah) होता है।
तुलसी को मां लक्ष्मी का और शालीग्राम को विष्णु का अवतार माना जाता है।
Tulsi vivah
1. देवउठनी एकादशी पर गोधुली वेला में तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है।
2. इसके लिए आंगन, छत, मंदिर या चौक सजाया जाता है। यहीं पर चौकी स्थापित करते हैं।
3. इसके बाद चौकी पर शालिग्राम को स्थापित कर उनका श्रृंगार किया जाता है।
4. कलश में जल भरकर, स्वास्तिक बनाकर, कलश पर आम के पत्ते रखकर, नारियल लपेटकर आम के पत्तों के ऊपर रख दें।
5. तुलसी के गमले को सजाएं और इससे शालिग्राम की चौकी के दाएं ओर रख दें।
6. गमले और चौकी के आसपास रंगोली बनाएं। दीपक जलाएं।
7. इसके बाद गंगाजल में फूल डुबाकर ॐ तुलसाय नमः मंत्र का जाप करते हुए माता तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें।
8. अब माता तुलसी को रोली और शालिग्राम को चंदन का तिलक लगाएं।
9. तुलसी और शालिग्राम के आसपास गन्ने से मंडप बनाएं। मंडप पर लाल चुनरी ओढ़ा दें।
10. तुलसी माता को सुहाग के प्रतीक साड़ी से लपेट दें और उनका श्रृंगार करें।
11. पूजन की सभी सामग्री अर्पित करें जैसे फूल, फल इत्यादि।
12. अब शालिग्राम को चौकी सहित गोद में उठाकर तुलसी की 7 बार परिक्रमा कराए।
13. इसके बाद तुलसी और शालिग्राम को भोग लगाएं।
14. विवाह के दौरान मंगल गीत गाएं।
15. इसके बाद दोनों की आरती करें और प्रसाद बांटें।
16. तुलसीजी का विवाह विशेष मंत्रोच्चारण के साथ करना चाहिए।