Digital Arrest – देश में हर रोज डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट करके लोगों से अभी तक अरबों रुपये की ठगी की गई है।
Digital Arrest
इसके मामले इतने बढ़ गए हैं कि पीएम मोदी ने खुद इसके बारे में लोगों को आगाह किया है और इससे बचने के लिए क्या करना है वो भी बताया है। सबसे पहले तो यह जानते हैं कि डिजिटल अरेस्ट होता क्या है?
क्या है Digital Arrest?
Digital Arrest ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है और सबसे मुख्य बात डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है।
Digital Arrest की शुरुआत एक मैसेज या फोन कॉल के साथ होती है। डिजिटल अरेस्ट करने वाले ठग, लोगों को फोन करके कहते हैं कि वे पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से बात कर रहे हैं।
कॉल करने वाले शख्श को कहा जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है, उसे पेनल्टी या जुर्माना देना होगा।
कई बार तो किसी कूरियर का नाम लेकर यह कहा जाता है कि इसमें गलत सामान आया है। कुरियर में ड्रग्स है, जिसकी वजह से आप फंस जाएंगे। आपके बैंक खाते से इस तरह के ट्रांजैक्शन हुए हैं जो फाइनेंशियल फ्रॉड रिलेटेड हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग, एनडीपीएस का भय दिखाकर डराया जाता है। ऐसे लोगों को डराकर उनसे डिजिटल माध्यम से फिरौती मांगी जाती है। अगर आपके खातों में पैसे नहीं हैं तो लोन दिलवाया जाता है।
अगर आपके पास लोन लेने वाले एप्स नहीं होते हैं तो उन एप्स को भी डाउनलोड कराया जाता है। कई बार तो ये ठग वीडियो कॉल करते हैं जिसमे सामने पुलिस की वर्दी में इंसान दिखता है जिसके पीछे की जगह किसी पुलिस स्टेशन या मुख्यालय की तरह लगती है।
Digital Arrest – इस दौरान वे लोगों से वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहते हैं। कई बार ये वीडियो कॉल करते हैं और सामने बैठे रहने के लिए कहते हैं। इस दौरान किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं होती।
इस दौरान जमानत के नाम पर लोगों से पैसे भी मांगे जाते हैं। इस तरह लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं और इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है। Digital Arrest से बचने का आसान रास्ता जानकारी है। इसकी शुरुआत ही आपके डर के साथ होती है।
ऐसे में यदि आपके पास भी इस तरह की धमकी वाले फोन कॉल आते हैं तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। कोई कॉल करके धमकाता है तो डरें नहीं, बल्कि डटकर सामना करें, क्योंकि यदि आपने कुछ किया ही नहीं है तो फिर डरने की जरूरत नहीं है।
ऐसे कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत करें। यदि कोई मैसेज या ई-मेल आता है तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को दें। यदि किसी कारण आपने कॉल रिसीव कर लिया और आपको वीडियो कॉल पर कोई धमकी देने लगा तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें और शिकायत करें।
किसी भी कीमत पर डरें नहीं और पैसे तो बिलकुल भी ना भेजें। कोई भी सरकारी जांच एजेंसी आधिकारिक संचार के लिए वॉट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग नहीं करतीं।
जबकि ऑनलाइन ठग इन्हीं का इस्तेमाल कर रहे हैं। शुरुआत में शक होने पर तुरंत फोन काट दें। फोन पर लंबी बातचीत करने से बचें। कॉल या वीडियो कॉल पर ठगों के सवालों और तर्कों का जवाब देने में जल्दबाजी न करें।
शांत रहें, सिर्फ सुनें। अनजान नंबरों से आए सामान्य और वीडियो कॉल पर भी कोई निजी जानकारी न दें। कॉल के स्क्रीनशॉट या वीडियो रिकॉर्डिंग सेव करें ताकि आवश्यक होने पर उपयोग कर सकें।
इसके अलावा अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें, किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें, केवल ऑफिशियल प्लेटफॉर्म से ही ऐप्स और सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें, थर्ड पार्टी ऐप्स से बचें, इनसे डेटा लिक होने का खतरा है और उन लिंक या एप्स से स्कैमर आपके डिवाइस में जगह बना सकता है।
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में Digital Arrest के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा था कि Digital Arrest के शिकार होने वालों में हर वर्ग, हर उम्र के लोग हैं। लोगों ने डर की वजह से अपनी मेहनत से कमाए हुए लाखों रुपए गवां दिए हैं।
कभी भी आपको इस तरह का कोई कॉल आए तो आपको डरना नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Digital Arrest से बचने को लेकर लोगों को तीन मंत्र दिए।
पीएम ने कहा था कि Digital Arrest जैसी कोई व्यवस्था कानून में नहीं है, ये सिर्फ फ्रॉड है, फरेब है, झूठ है, बदमाशों का गिरोह है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वो समाज के दुश्मन हैं।
इसके नाम पर जो फरेब चल रहा है, उससे निपटने के लिए तमाम जांच एजेंसियां, राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
इन एजेंसियों में तालमेल बनाने के लिए National Cyber Co-ordination Centre की स्थापना की गई है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैं आपको डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण बताता हूं।
ये तीन चरण हैं – ‘रुको सोचो और एक्शन लो’। कॉल आते ही, ‘रुको’ घबराएं नहीं, शांत रहें, जल्दबाजी में कोई कदम न उठाएं, किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें, संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें और रिकॉर्डिंग जरूर करें।
दूसरा चरण है ‘सोचो’- कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसे धमकी नहीं देती, न ही वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है, न ही ऐसे पैसे की मांग करती है अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है।
तीसरा चरण – ‘एक्शन लो’। राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 डायल करें, https://cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें, परिवार और पुलिस को सूचित करें, सबूत सुरक्षित रखें।
