पश्चिम बंगाल में होलिका दहन 7 को

कोलकाता

सनलाइट, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में होलिका दहन कब करना चाहिए इस विषय पर पिछले कई दिनों से विद्वानों में परिचर्चा चल रही है। हर पण्डित अपने मतानुसार तर्क सहित अपने मुहूर्त को सही ठहरा रहा है।

सनलाइट ने इस संबंध में महानगर कोलकाता के विद्वानों से जब जानना चाहा तो ज्यादातर विद्वानों ने बंगाल में होलिका दहन का मुहूर्त मंगलवार सात 7 मार्च को शास्त्र सम्मत बताया।

शिव किशन किराडू ने कहा कि ज्यादातर विद्वान वाराणसी के पंचांग अनुसार मुहूर्त निकाल रहे है इसलिए वे सभी 6 मार्च को उचित तिथि बता रहे हैं जबकि कोलकाता के लिए यहां का स्थानीय पंचांग देखना चाहिए। यहां 7 मार्च को शाम 5:40 से 6:10 तक होलिका दहन करना उचित है।

पण्डित जितेंद्र आचार्य के अनुसार छह मार्च को होलिका दहन करना अनुचित है। आचार्य ने बताया कि होलिका दहन के लिए भद्रा रहित शुद्ध पुर्णिमा होनी चाहिए जो 7 तारीख को है। पंडित संदीप मिश्रा ने भी 7 मार्च को शाम का समय होलिका दहन के लिए उचित बताया है।

रिसर्च सेंटर ऑफ ऐस्ट्रो मेडिकल के ज्योतिष प्रभाकर डॉ राकेश व्यास ने बताया कि उनके मतानुसार सात मार्च को ही होलिका दहन शास्त्रसम्मत होगा। उन्होंने बताया कि पूर्णिमा के दिन होने वाला होलिका दहन सूर्य की उपस्थिति में नही होता है साथ ही समय भद्रा रहित होना चाहिए। उनके अनुसार सात मार्च को यह तिथि रहेगी।

पंचांग आधारित गणना का उल्लेख करते हुए व्यास ने बताया कि चूंकि कोलकाता में शाम 5:42 मिनट पर सूर्यास्त हो रहा है और दहन के लिए आवश्यक प्रदोष काल इस दिन शाम छह बजकर नो मिनट तक है इसलिए इस अवधि में होलिका दहन का सर्वोच्च शुभ मुहूर्त है। उन्होंने बताया कि राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र आदि जिन राज्यों में सूर्यास्त देर से होता है वहां सात मार्च को पूर्णिमा तिथि सूर्यास्त से पहले खत्म हो रही है इसलिए इन जगहों पर छह मार्च को होलिका दहन होगा। इनके अलावा राजस्थान और पंजाब के कुछ पंचांगकर्ताओं की माने तो कोलकाता सहित पूर्वी भारत में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च को शाम का है।

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