जनता का समय – अजय तिवारी ‘शिवदान’

विचार मंच
अजय तिवारी “शिवदान”

समझ नहीं आता है विषधर कहां कहां हैं। 
जनता को डंसने वाले सब तो यहां वहां हैं।।  

शान्ति दूत बनकर जो विष फैला जाते हैं।
बुझी राख में आकर आग लगा जाते हैं।।

मर्यादा सब भूल, कर्म कुछ ऐसा करते।
जिसके कारण अपने ही अपनों से मरते।।

ऐसे नागों के विषदंत अगर ना टूटेंगे।
ये नादान जनता को भरमा कर लूटेंगे।।

कुछ भी कर के देश को अस्थिर कर देंगे।
दिल में लोगों के भरपूर जहर भर देंगे।।

अब जनता का समय है, इन्हें समझाने को।
अपनी क्षमता को इनको दिखलाने को।।

सोच समझ कर अपना निर्णय लेना है।
जो है साथ हमारे, उनका साथ ही देना है।।

– अजय तिवारी “शिवदान”

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