सनलाइट। श्री कृष्ण योग ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के आधिकारिक पेज पर कृष्ण पद वंदना एवं ध्यान योग का वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित किया गया। “योगः कर्मसु कौशलम्” पर आयोजित फेसबुक पर लाइव कार्यक्रम में योगाचार्य राजेश व्यास ने बताया कि प्रायः इस श्लोक की व्याख्या गलत समझी जाती है। कर्मो में योग ही कौशल यानी कुशलता हैं।
मतलब है कि सफलता या असफलता में सम रहते हुए कर्म करना कौशल है न कि कर्मो को कुशलता से करना। यदि कर्मो कों कुशलता से करना योग होता तो शातिरता से की गयी चोरी भी योग कहलाती।
मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करने का अभ्यास कराते हुए बताया कि अंतर्मन में उतरने और अंतर्मन की शक्तियों को जागृत करने हेतु ध्यान योग सर्बोत्तम साधन है।
योगाचार्य ने बताया कि ध्यान से शरीर और मन की स्थिति बदलती है और दोनों स्वस्थ होते हैं। यदि शरीर की बात करे तो ध्यान से हृदय गति धीमी होती है, श्वासों की गति बदल जाती है और अवसाद विषाद से मुक्ति मिलती है।
उन्होंने कहा कि ध्यान हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है अतः इसे हमें अपने दैनिक जीवन की दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने में ओंकार पांडेय, विनोद उपाध्याय, श्रुति व्यास ने सक्रिय भूमिका निभाई।
