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साध्वी प्रज्ञा को एनआईए कोर्ट से झटका, हर हफ्ते पेशी से छूट की याचिका खारिज

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भोपाल। साल 2008 आठ में हुए मालेगांव ब्लास्ट की आरोपित साध्वी प्रज्ञा सिंह द्वारा कोर्ट में हर हफ्ते पेशी छूट की मांग को लेकर लगाई गई याचिका को एनआईए की विशेष अदालत ने गुरुवार को खारिज कर दिया है। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने इस बार मानसून सत्र में रोजाना उपस्थिति देने और अपनी बीमारी का हवाला देकर अदालत से हर हफ्ते होने वाली पेशी में छूट देने की अपील की थी।

उल्लेखनीय है कि मालेगांव ब्लास्ट में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी आरोपित हैं और अपनी बीमारी के चलते इन दिनों जमानत पर हैं। एनआईए की विशेष अदालत ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत अन्य आरोपितों को हफ्ते में एक दिन अदालत में पेश होने के आदेश दिये थे। हाल ही संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा सिंह को भोपाल संसदीय सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ाया था। वे दिग्विजय सिंह को साढ़े तीन से लाख से अधिक मतों से हराकर सांसद निर्वाचित हुईं। अब संसद का मानसून सत्र चल रहा है। इसीलिए उन्होंने एनआईए की विशेष अदालत में याचिका दायर कर हर हफ्ते पेशी पर उपस्थिति होने की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि वे इस समय सांसद हैं और संसद में चल रहे मानसून सत्र में उन्हें रोजाना उपस्थित होना पड़ता है। इसीलिए उन्हें कोर्ट में हर हफ्ते होने वाली पेशी में उपस्थित रहने के मामले में छूट दी जाए। मुम्बई की विशेष एनआईए अदालत में गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए साध्वी प्रज्ञा की याचिका को खारिज कर दिया है। हालांकि, उन्हें गुरुवार को पेशी से छूट दे दी है।

लोकसभा चुनाव के दौरान भी साध्वी प्रज्ञा सिंह ने अपनी चुनावी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए कोर्ट में पेशी से छूट की मांग की थी। उस समय उन्हें एनआईए की विशेष अदालत ने छूट दे दी थी, लेकिन चुनाव संपन्न होने के बाद फिर उन्होंने अपनी बीमारी का हवाला देकर कोर्ट में पेशी से छूट की मांग की थी। इस मांग को ठुकराते हुए अदालत ने उन्हें हफ्ते में एक दिन पेशी देने पर हाजिर रहने को कहा था। अभी एनआईए की विशेष अदालत ने उन्हें झटका दिया है।

महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित मालेगांव में 29 सितम्बर 2008 को मोटरसाइकिल में धमाका हुआ था। इस ब्लास्ट में सात लोगों की मौत हो गई थी, जबकि घायलों की संख्या 100 से अधिक थी। महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले की शुरुआती जांच की और इसके बाद इसकी जांच का जिम्मा एनआईए को सौंप दिया गया। एनआई ने अपनी जांच के बाद इस मामले में स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित के साथ साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भी गिरफ्तार किया था, क्योंकि जिस मोटरसाइकिल में धमाका हुआ था, वह साध्वी के नाम से ही रजिस्टर्ड थी। करीब नौ साल जेल में रहने के बाद अदालत ने उन्हें बीमारी के चलते अप्रैल 2017 में इस शर्त पर जमानत दी थी कि उन्हें हफ्ते में एक दिन कोर्ट में पेश होना पड़ेगा।

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