Mamata Banerjee – सुप्रीम कोर्ट ने बंगाली बोलने पर लोगों को ‘बांग्लादेशी’ करार देने के मुद्दे पर केंद्र से सवाल किया है।
Mamata Banerjee
कोर्ट ने कहा कि यह पुशबैक किस आधार पर हो रहा है? क्या किसी को सिर्फ़ एक ख़ास भाषा बोलने से ही दूसरे देश का मान लिया जाता है?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से एक मानक प्रक्रिया (एसओपी) मांगी है। इस मुद्दे पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संतोष व्यक्त किया है।
सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा – आज माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बंगाल के प्रवासी श्रमिकों की डिटेंशन से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक सीमावर्ती राज्य के रूप में बंगाल की ऐतिहासिक भूमिका को स्वीकार किया – एक ऐसी भूमि जिसने पीढ़ियों से शरण, शक्ति और संस्कृति प्रदान की है।
प्रवासी श्रमिकों की याचिका पर उच्च न्यायालय में प्राथमिकता से सुनवाई करने का निर्देश जारी किया गया है। यह नज़रबंद श्रमिकों के लिए एक बड़ी राहत है।
बंगाल के अनूठे परिवेश की पहचान हमारी मातृभूमि के असंख्य बंगाली भाषी श्रमिकों को आशा प्रदान करती है, जिनके श्रम और बलिदान से पूरे भारत में परिवार मज़बूत होते हैं। मैं उनके साथ दृढ़ता से खडी हूँ।
सीएम ने लिखा – हम बंगाल के प्रत्येक श्रमिक के लिए सम्मान, निष्पक्षता और संवैधानिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु न्यायपालिका में पूर्ण विश्वास रखते हैं।