मुकेश पुण्यतिथि : आज भी जिंदा हैं सभी के दिलों में एक आवाज़ बनकर

विशेष

हिंदी फिल्मो के पार्श्व गायक मुकेश का 27 अगस्त के दिन १९७६ में 53 वर्ष की आयु में

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पी शीतल हर्ष

डेट्रॉयट,मिशिगन,यूएसए एक कार्यक्रम के दौरान ह्रदय गति रुक जाने से देहांत हो गया था। आज उनके जाने के ४३ साल बाद भी उनके प्रसंशको के दिलो में वे ज़िंदा है।

राजस्थान के जैसलमेर, बीकानेर सहित कई शहरो में उनकी स्मृति में आज गीतों के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है , जैसलमेर में गुरुदत्त हर्ष के संयोजन में बी एस एफ के म्यूजिकल बेंड द्वारा मुकेश नाइट वर्षो से आयोजित होती आई है। वही बीकानेर के अमन कला केंद्र के ऍम रफीक कादरी द्वारा टाउन हाल में नाइट मनाई जाती है।

कार्यक्रम कर उनके गीतों से श्रद्धांजलि देते है

कोलकाता में शिव कुमार व्यास “बड़ा मुन्ना” संजीव पुरोहित, एस के केला ,संजय बिनानी, विजय ओझा (हावड़ा), पी शीतल हर्ष, किशोर किराडू, दिलीप पुरोहित जैसे अनगिनत मुकेश के प्रशंसक मुकेश की पुण्य तिथि और जन्म जयंती पर अपनी और से छोटे बड़े कार्यकर्म कर उन्हें उनके गीतों से श्रद्धांजलि देते है।

मुकेश का परिचय

२२ जुलाई १९२३ को लुधियाना में जन्मे मुकेश को बचपन से ही संगीत का शौक था। उन्होंने प्रारंभिक संगीत शिक्षा उस समय के मशहूर अभिनेता मोतीलाल से ली। वे के एल सहगल से प्रभावित थे।

पहलीबार उन्हें फिल्म निर्दोष में पार्श्व गायन का मौका मिला ” दिल जलता है तो जलने दे ” यह गीत उन्होंने सहगल साब जैसा ही गाया, १९५० के आस पास आर के बैनर से जुड़े और राज कपूर के लिए उन्होंने ऐसे गीत गाये। उन्हें राज कपूर की आवाज कहा जाने लगा, दिलीप कुमार, राजेश खन्ना, राजेंद्र कुमार, फ़िरोज़ खान सहित सत्तर के प्राम्भिक दशक तक के सभी कलाकारों के लिए अपनी आवाज दी।

उन्होंने अपना अंतिम गीत भी आर के बैनर के लिए फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम में “चंचल शीतल निर्मल कोमल” गाया था। कुल ९०३ फ़िल्मी गीतों मे एक राजस्थानी गीत थाने काजळियो बना लू भी गया था।

साठ के दशक में hmv के लिए उन्होंने रामायण रिकॉर्ड की जो की उस समय इतनी प्रसिद्ध हुई की प्रति सुबह हर मोहल्ले में रामायण के रिकॉर्ड को बजाय जाता था।

उनकी मृत्यु पर राज कपूर ने कहा था कि आज मेरी आवाज खत्म हो गई। फिल्म गोपीचंद जासूस में राज कपूर के लिए कई पार्श्व गायको से गीत रिकॉर्ड करवाए गए पर वे संतुष्ट नहीं हुवे फिर डॉ कमलेश अवस्थी जिनकी आवाज हूबहू मुकेश जैसी थी ने इस फिल्म के लिए सभी गीत गाये।

मुकेश के कई गीत जो कि आज भी लोग गुनगुनाते है

मुकेश के कई गीत जो कि आज भी लोग गुनगुनाते है
तु कहे अगर ,ज़िन्दा हूँ मै इस तरह से ,मेरा जूता है जापानी ,ये मेरा दीवानापन है ,किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार , ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना ,दोस्त दोस्त ना रहा, जाने कहाँ गये वो दिन, मैने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने, इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल ,मैं पल दो पल का शायर हूँ, कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है ,चंचल शीतल निर्मल कोमल ,दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी, एक प्यार का नगमा है”।

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