नंदीग्राम में ममता बनाम शुभेंदु , दोनों की अस्मिता का सवाल

बंगाल

पश्चिम बंगाल। 294 विधानसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में सबसे खास है पूर्व मेदिनीपुर की नंदीग्राम सीट। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी का इस सीट से खास नाता है। वाममोर्चा के 34 सालों के शासन को उखाड़ फेंकने में यह क्षेत्र ममता के लिए आधार बना था।

 

2007 में जब तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने यहां उद्योग के लिए किसानों की जमीन जबरदस्ती अधिग्रहित की थी तब नंदीग्राम सहित आसपास के क्षेत्र के लाखों लोगों ने आंदोलन किया था। जिसका मुख्य चेहरा ममता बनर्जी थी और उन्हें उसका फल सत्ता के रूप में मिला।

2011 और 2016 में इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस जीती है

 

लगातार दो बार 2011 और 2016 में इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस जीती है। सत्ता में आने के बाद से ही लगातार ममता बनर्जी नंदीग्राम दिवस मनाती हैं। और नंदीग्राम में शुभेंदु उनके करीबी और दमदार नेता रहे हैं।

 

इसबार शुभेंदु भाजपा प्रत्याशी

लेकिन इसबार बाजी पलट गई है। शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर भतीजे अभिषेक बनर्जी को वरिष्ठ नेताओं से अधिक अहमियत देने का आरोप लगाकर भाजपा की सदस्यता ले ली है और सीएम के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। शुभेंदु के समर्थन में तृणमूल के अधिकतर नेताओं ने यहां से भाजपा की सदस्यता ली है।

 

ममता बनर्जी को 50 हजार वोटों से हराने की चुनौती

 

शुभेंदु के भाजपा में जाने के बाद ममता ने नंदीग्राम की एक सभा में घोषणा कर दी कि वे इस सीट से चुनाव लड़ेंगी। शुभेंदु भी उन्हें चुनौती देते हुए कह चुके हैं कि अगर इस सीट से वे ममता बनर्जी को 50 हजार वोटों से नहीं हरा सके तो राजनीति छोड़ देंगे।

 

अमूमन ममता बनर्जी कोलकाता की भवानीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ती रही हैं लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को बढ़त मिली, जिसकी वजह से तृणमूल कांग्रेस की किरकिरी हुई थी।

 

2016 के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से तृणमूल के टिकट पर शुभेंदु अधिकारी ने जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल 134623 लोगों ने वोट दिया था जबकि दूसरे नंबर पर सीपीआई के अब्दुल कबीर शेख थे, जिन्हें 53393 लोगों ने मतदान किया था। भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी। भाजपा उम्मीदवार विजन कुमार दास को महज 10713 वोट मिले थे।

 

इसबार हालात बदल गए हैं और शुभेंदु अधिकारी को भाजपा से टिकट मिला है। अब ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी दोनों नंदीग्राम में आमने सामने हैं। देखना होगा कि शुभेंदु फिर से यहाँ से जीतते है या ममता बनर्जी को पहली बार नंदीग्राम से जीत का स्वाद चखने मिलेगा।

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