पर हम तुम्हारे रहेंगे सदा

विचार मंच

जनता कर्फ्यू को पूरे देश के साथ ही कोलकाता,हावड़ा और दोनों शहरों के

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पी शीतल हर्ष

उपनगरीय निवासियों ने पूरा समर्थन किया था, चाहे वह व्यक्ति किसी भी दल का समर्थक रहा हो। अगले दिन ही ममता बनर्जी ने बंगाल लॉक डॉउन की घोषणा की इसका भी लोगो ने समर्थन किया।

फिर दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर मोदी जी ने २१ दिनों के लॉक डाउन की घोषणा की, इक्कीस दिन घरों में रहना एक बड़ी तपस्या पर सभी लोगों ने इसे भी स्वीकार किया कारण देश की सुरक्षा, अपनों की रक्षा और खुद को वैश्विक बीमारी से बचाने के लिए।

केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार के साथ ही जागरूक नागरिक सोशल मीडिया के द्वारा लोगों को सावधानी बरतने की सलाह देते नजर आए, खाली बैठे काम काजी आदमी के पास सिर्फ एक काम रह गया सोशल मीडिया युज करना। स्तिथि यह होने लगी कि शाम के वक़्त लोगो के मोबाइल रहम की भीख मांगने लगे नेटवर्क स्लो, डाउनलोड की गति धीमी, झुंझला कर व्यक्ति मोबाइल छोड़ इधर उधर अपने मकान में ही घूमने लगे, कभी शर्मा जी से बात चीत, कभी सिंह साब से गुफ्तगू, एक अपार्टमेंट में रह कर भी होली दीवाली दुआ सलाम होने वाले लोगो के बीच अब रोजाना बातें हो रही पर बातों का विषय सिर्फ और सिर्फ कोविड़19 कोरोना।

दस दिनों में लोगों मे यह जागरुकता जरूर आई कि अब सोशल मिडिया पर आने वाली कोरोना की किसी भी पोस्ट की लोग सत्यता की जांच करते हैं और गलत बात निकलने पर तुरंत लोग उसका खंडन करते है, कई वाट्स अप ग्रुपो ने “पोस्ट ऑनली एडमीन” ऑप्शन ऐक्टिव कर रखा है। अधिकतर वाट्सअप ग्रुपो के एडमीन ने जागरूकता के उद्देश्य से ग्रुप के नाम के आगे ” स्टे एट होम” जोड दिया है।

इस लॉकडाउन ने एक अच्छा यह किया है कि अब लोगों को अपनो के नजदीक कर दिया है, भाईयों से जिनकी महिनों बातें नही होती ती, अब रोज फोन पर बातें होती, एक दूसरे के प्रति चिंता और प्रेम झलकता है बातों में, मोबाईल की फोन बुक में जिन नम्बरों पर कभी कॉल नही किया गया उन्हें भी अब कॉल किया जा रहा, बातों मे प्रमुख यह होती है कि कहां हो, कैसे हो, अपना ध्यान रखना।बिछोह का दर्द इन शब्दों मे झलकता है। स्थिति सुधरने पर अपने जल्दी मिलेंगे, दूर है तो क्या हुआ- पर हम तुम्हारे रहेंगे सदा।

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