Pitru Paksha 2025 – पितृपक्ष, पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण व पूजन का विशेष समय माना जाता है।
Pitru Paksha 2025
यह पक्ष हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन अमावस्या तक चलता है। ज्योतिषाचार्य राकेश व्यास ने बताया कि इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा 6 सितंबर को रात 1 बजकर 41 मिनट शुरू होगी।
पूर्णिमा की तिथि का समापन 7 सितंबर को रात 11 बजकर 38 मिनट पर हो जाएगा। सर्वपितृ अमावस्या के साथ पितृ पक्ष का समापन होगा।
Pitru Paksha 2025- पितृपक्ष की तिथियां –
7 सितंबर रविवार , पूर्णिमा का श्राद्ध
8 सितंबर, सोमवार: प्रतिपदा श्राद्ध
9 सितंबर, मंगलवार: द्वितीया श्राद्ध
10 सितंबर, बुधवार: तृतीया/ चतुर्थी श्राद्ध
11 सितंबर, बृहस्पतिवार: पंचमी श्राद्ध/ भरणी
12 सितंबर, शुक्रवार: षष्ठी श्राद्ध
13 सितंबर, शनिवार: सप्तमी श्राद्ध
14 सितंबर, रविवार: अष्टमी श्राद्ध
15 सितंबर, सोमवार: नवमी श्राद्ध
16 सितंबर, मंगलवार: दशमी श्राद्ध
17 सितंबर, बुधवार: एकादशी श्राद्ध
18 सितंबर, गुरुवार: द्वादशी श्राद्ध
19 सितंबर, शुक्रवार: त्रयोदशी श्राद्ध
20 सितंबर, शनिवार: चतुर्दशी श्राद्ध/ अकाल मृत्यु श्राद्ध
21 सितंबर, 2025 रविवार: सर्वपितृ अमावस्या/ अज्ञात तिथि श्राद्ध
शस्त्र , विषपान, दुर्घटना, आत्महत्या आदि से प्राण गंवाने वालों की मृत्यु तिथि कुछ भी रही हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को ही किया जाता है। चतुर्दशी तिथि को जिनकी मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है।
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धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
इस दौरान किए गए दान-पुण्य और तर्पण से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन के कष्ट भी कम होते हैं।
ज्योतिष में भी पितृ पक्ष का खास महत्व है। कहा जाता है कि इस समय विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
